भोपाल में अटकी मशीनें खरीदे जाने की टेंडर प्रक्रिया
जबलपुर। प्रदेश के पहले स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में मरीजों को शिफ्ट तो कर दिया गया है, लेकिन अब भी इन कैंसर पीड़ितों को अत्याधुनिक मशीनों से इलाज मिलना मुनासिब नहीं है।
बिना मशीनों के चल रहे स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में करोड़ों रुपए की लागत से आने वाली अत्याधुनिक तकनीकों से लैस मशीनों की खरीदी प्रक्रिया मुख्यालय में टेंडर की प्रक्रिया में उलझ गई है। महिनों से चल रही इस प्रक्रिया के चलते ये मशीने अब तक भोपाल से खरीदकर जबलपुर स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में नहीं भेजी गई है। ऐसे में इस सेंटर महाकोशल से आने वाले कैंसर पीड़ित मरीजों को मेट्रो सिटी जाकर अपना उपचार कराना मजबूर है। वहीं चिकित्सक भी इस बात को लेकर परेशान है कि वे बिना मशीनों के कैंसे इन कैंसरों मरीजों को नई तकनीकों से उपचार दें ।
84 करोड़ रुपए बजट मशीनों का
जानकारी के मुताबिक करीब 150 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के तहत 84 करोड़ रुपए का बजट मशीनों के लिए रखा गया है। प्रबंधन ने करीब दो माह पहले ही मशीनों की रिक्वायरमेंट भोपाल भेज दी है, लेकिन अब तक मशीनों की खरीदी नहीं हो सकी है।
बामुश्किल नए बिल्डिंग में शिफ्ट हुए मरीज
बताते हैं कि स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का प्रोजेक्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के साथ ही शुरू हुआ था। करीब पांच साल बाद इसका इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होने के बाद बमुश्किल पीआईयू ने इसमें कैंसर मरीजों को शिफ्ट करने के लिए बिल्डिंग हेंड ओवर की।
कैंसर इंस्टीट्यूट में मशीनों की खरीदी प्रक्रिया भोपाल स्तर से की जाना है। हमसे मशीनों की रिक्वायरमेंट मांगी गई थी जो हमने पहले ही भोपाल भेज दी है। करीब 84 करोड़ रुपए की लागत से मशीनें आना है। एक लीनियर एक्सलेटर की खरीदी की जानकारी लगी है लेकिन मशीन अभी नहीं आई। फिलहाल मरीजों को भर्ती कर समुचित संसाधनों में उपचार दिया जा रहा है। डॉ. लक्ष्मी सिंगोतिया अधीक्षक स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट जबलपुर