राजनीतिक दलों को दान दिखाकर करोड़ों की टैक्स चोरी!
भोपाल। राजनीतिक दलों को चंदा देने के नाम पर टैक्स चोरी और ब्लैकमनी के रूप में राशि वापस लेने की शिकायतों पर आयकर विभाग ने मप्र-छत्तीसगढ़ में सैकड़ों करदाताओं से जवाब तलब किया है। इससे हड़कंप मचा हुआ है। विभागीय छानबीन में करोड़ों की टैक्स चोरी व चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इन दानदाताओं में ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने अपनी आय का चौथाई हिस्सा दान में दिखा दिया और टैक्स में छूट हासिल कर ली। विभाग ने इनकी कुंडली खोली तो पता चला कि इसके पहले उन्होंने एक पैसे का परमार्थ कार्य नहीं किया है। गुजरात में इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मप्र-छग में पिछले वित्त वर्ष के दौरान ऐसे मामले सामने आए हैं। आयकर विभाग ने भोपाल, इंदौर, रायपुर, जबलपुर और ग्वालियर अंचल के जिलों में फिलहाल संदेह के आधार पर सैकड़ों लोगों को औपचारिक पत्र भेजकर बिंदुवार जानकारी मांगी है। कुछ करदाताओं ने जवाब भेजे हैं, लेकिन बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्होंने रिस्पांस नहीं दिया। ऐसे लोगों को विभाग ने सख्त शब्दों में टैक्स में छूट का लाभ न देने और टैक्स पर ब्याज-जुर्माना ठोंकने का डर भी दिखा दिया।
आईटी का खुफिया तंत्र सक्रिय
आयकर विभाग को उसकी खुफिया विंग सहित अन्य स्रोतों से ऐसे मामलों में पुख्ता सूचनाएं मिली हैं। इनमें बताया गया है कि सियासी दलों को जो चंदा दिया गया, उसमें से 5-10 फीसदी कमीशन काटकर शेष राशि दानदाता ने नकद में वापस ले ली। इस तरह करदाता ने टैक्स छूट का पूरा लाभ ले लिया और काले धन के रूप में रकम भी वापस ले ली। विभाग ने गोपनीय छानबीन में इस बात की पुष्टि कर ली है। आईटी एक्ट में सियासी दलों को दिए जाने वाले दान पर टैक्स में पूरी छूट का प्रावधान है।
विभाग जवाब से संतुष्ट नहीं, री-ओपन होंगे प्रकरण
विभाग जिनके जवाब से संतुष्ट नहीं है, उनके मामले धारा 148 के विभिन्न प्रावधानों में री-ओपन किए जा रहे हैं। एनुअल इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट में करीब डेढ़ दर्जन बिंदु दिए गए हैं। सियासी दलों को 2 हजार से कम राशि नकद में और इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए दान राशि दी जा सकती है। इस पर अन्य परमार्थिक ट्रस्टों की तुलना में टैक्स पर पूरी छूट मिलती है।