तमिलनाडु का नन्नारी और महाराष्ट्र का कोकम शरबत भी अब बन रहा लोगों की पसंद
इस बार मार्केट में शरबतों के काफी नए स्वाद और नाम सुनने को मिल रहे हैं। हालांकि यह कुछ जगहों के खास शरबत रहे हैं, जिसकी वजह से इन्हें अभी तक अमूमन शहर के मार्केट में नहीं देखा जाता था लेकिन अब बाजार के बढ़ते दायरे के चलते देश के अलग- अलग राज्यों के शरबत भोपाल में भी उपलब्ध हैं, जिसमें कई ब्रांड्स इन्हें लेकर आए हैं। इन्हीं में से एक नन्नारी शरबत। यह शरबत खासतौर पर तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश में पिया जाता है। वहीं गोवा व महाराष्ट्र के कोकम शरबत के बारे में भी लोग रुचि दिखा रहे हैं और इसे ट्राय करना चाहते हैं। इस बार आयुर्वेदिक स्टोर्स पर आए शरबतों के अच्छे ब्रांड्स के लेबल पर एक बात खासतौर पर हाइलाइट की जा रही है कि शरबत में नो एडेड शुगर और नो एडेड फ्लेवर हैं। इनमें सिंथेटिक प्रिजर्वेटिव नहीं है इसलिए इनकी शेल्फ लाइफ भी कम है।
पान का शरबत
हाथ-पैर की जलन, पेट में गर्मी या फिर पित्त के ज्यादा बढ़ जाने पर पान का शरबत पिया जाता है। इसमें विटामिन-सी और एंटीआॅक्सीडेंट होते हैं जो कि विषाक्त पदार्थों को हटाकर पेट के पीएच स्तर को बैलेंस व एसिडिटी को भी नियंत्रित करते हैं।
नन्नारी शरबत
नन्नारी नेचुरल कूलेंट है और इसका शरबत चिलचिलाती गर्मी से लड़ने और शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। रक्त को शुद्ध और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है। यह यूरिन इंफेक्शन व एसिडिटी से भी राहत देता है। इसे तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश में पिया जाता है।
बेल का शरबत
बेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल प्रॉपर्टीज होती है । इसे सुबह खाली पेट पीने से एसिडिटी और अपच से छुटकारा मिलता है। डायबिटीज रोगियों के लिए इसे फायदेमंद कहा जाता है लेकिन चिकित्सकीय परामर्श से ही इसे लें।
कोकम का शरबत
कोकम का स्वाद क्रैनबेरी जैसा लगता है और यह बैंगनी रंग का फल होता है। इसमें कूलिंग प्रॉपर्टीज व एंटी-आॅक्सीडेंट्स होते हैं। इस फल के पल्प से शरबत को तैयार किया जाता है। इसे गोवा व महाराष्ट्र में पिया जाता है।
सौंफ फ्लेवर
सौंफ का शरबत पेट को ठंडा रखता और इसमें फाइबर होने से पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। सौंफ के शरबत का सीरप चाहे तो घर पर भी बनाकर रख सकते हैं।
पुदीना फ्लेवर
गर्मी के दिनों में स्किन पर बारीक दाने आने हैं। ऐसे में पुदीने का शरबत मदद करता है, क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं। यह पेट में जलन से राहत दिलाता है।
और भी हैं शरबत
बादाम-केसर ड्राय फ्रूट शरबत, चंदन का शरबत, नींबू-पुदीना शरबत, गुलाब शरबत, केसर पिस्ता, जीरा शरबत भी आॅनलाइन व स्टोर्स पर उपलब्ध हैं।
नूरजहां ने बनवाया था गुलाब का शरबत
शरबत का फारसी मतलब है पीने लायक। शास्त्रों में इसे मधुपराका के नाम से जाना जाता है। शरबत में गुलाब का इस्तेमाल महारानी नूरजहां के समय शुरू हुआ। दरअसल, शरबत बनाने की कला 16 वीं शताब्दी में मुगलों के जरिए भारत में ज्यादा फली-फूली। हकीमों ने शाही परिवार के लिए कई अन्य खुशबूदार मीठे और खट्टे पेय तैयार किए। वहीं बेल का शरबत18वीं शताब्दी में इतना मशहूर था इसे अंग्रेजों ने भारत आने पर इसे अपना लिया था।
आयुर्वेद के मुताबिक ठंडक देते हैं यह शरबत
अब सभी शरबत आॅनलाइन भी उपलब्ध हैं। जैसे कि नन्नारी एक जड़ है और आयुर्वेद में इसे अनंतमूल के नाम से जाना जाता है। तमिल में, नन्नारी या नरुनेंडी कहते हैं। इसकी जड़ों से सिरप तैयार करते हैं। इसके अलावा नन्नारी की जड़ का पाउडर भी अब आॅनलाइन मिलने लगा है। यह सभी शरबत गर्मी के मौसम में अच्छी तरावट देते हैं। डॉ. अलका दुबे, न्यूट्रीशनिस्ट