सर्वेक्षण टीम इंदौर आई, आज से शुरू होगा ‘नंबर-1’ के लिए सर्वे
इंदौर। शहर सातवीं बार स्वच्छता में सिरमौर कैसे बन सकता है, इसका सर्वेक्षण दिल्ली के शहरी विकास मंत्रालय से आई टीम करेगी। यह टीम 17 जुलाई से गलियों, चौराहों, रहवासियों बस्तियों का औचक निरीक्षण कर तय करेगी। इंदौर को स्वच्छता में सातवीं बार नंबर-1 बनाने के लिए टीमें तैयार हैं, लेकिन इस बार चैलेंज बड़ा और नया है। दरअसल, केंद्र सरकार पहली बार बारिश के पीक सीजन में सर्वे कराएगी, इससे चिंता बढ़ गई है। शहर में कई जगह फ्लायओवर, मेट्रो ब्रिज और सड़कों के कारण सड़कें, सर्विस रोड खुदे पड़े हैं। इसके कारण रास्ते डायवर्ट हैं और मामूली बारिश में ही सड़कें तालाब बना रही हैं। अंडरग्राउंड ड्रेनेज लाइन ओवरफ्लो हो जाती है।
नंबर कटने का डर- इस संकट का अभी कोई समाधान नहीं दिख रहा है, इसलिए अफसरों ने केंद्र सरकार के सामने अपनी समस्या रख दी है। नंबर कटने और रैंकिंग गिरने का डर है। इंदौर में पहली बार स्वच्छता सर्वे का सामना करने जा रही नगर निगम की कमिश्नर हर्षिका सिंह का कहना है कि बारिश में स्वच्छता सर्वेक्षण इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चुनौती है।
मोबाइल के फोटो खींचकर भेजेंगे
टीम के 10 सदस्य मौके पर फीडबैक लेंगे और अपने मोबाइल से क्षेत्र के फोटो, लोगों के विचार, व्यवस्थाओं आदि को कैदकर दिल्ली में बैठे वरिष्ठ अधिकारी तक भेजेंगे। इस बार शहर को 9 हजार अंकों में से 8000 अंक हासिल करना है। इससे कम नंबर आए तो वह पिछड़ जाएगा।
अधिकारियों की ली बैठक
टीम के आने के बाद निगम का अमला सजग हो गया। प्रमुख चौराहों, मार्गों पर सफाई मित्र दोपहर में भी श्रम कर रहे हैं। निगमायुक्त हर्षिका सिंह, महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सभी अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में लगातार सफाई व्यवस्था पर नजर रखने के निर्देश दिए, साथ ही हिदायत दी कि सफाई व्यवस्था में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह बना था कारण
वर्ष-2016 में जब कचरा पेटियां हटाकर उनके स्थान पर डोर टू डोर कचरा संग्रहण शुरू किया था, तब अधिकारियों और आमजन को भी भरोसा नहीं था कि पूर्व निगमायुक्त मनीषसिंह का यह नवाचार इतिहास बन जाएगा। यही नवाचार नंबर वन का पुरस्कार दिलाने में सफल रहा। एक बार पुरस्कार मिलने के बाद निगम ने अगले वर्ष के लिए फिर चुनौतीपूर्ण काम किया। परिणाम रहा कि एक, दो नहीं, बल्कि छह बार शहर ने देश में नंबर वन का पुरस्कार हासिल किया। सफाई की चाक चौबंद व्यवस्था को देखने देश के साथ विदेशों से भी जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी आए।