एयर क्वालिटी गिरते ही बढ़ जाते हैं सुसाइड के मामले

चीन के मॉनिटरिंग स्टेशनों के आंकड़ों से हुआ खुलासा

एयर क्वालिटी गिरते ही बढ़ जाते हैं सुसाइड के मामले

बीजिंग। जब भी वायु प्रदूषण बढ़ता है, लोगों की मौतों खासतौर से खुदकुशी करने की संख्या बढ़ जाती है। पूरे चीन में करीब 1400 वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन हैं। इनसे मिले डेटा से पता चला है कि जब-जब वायु गुणवत्ता खराब होती है। तब-तब देश में खुदकुशी करने वालों की संख्या बढ़ जाती है। इस स्टडी में यह भी बताया गया है कि कैसे चीन ने वायु प्रदूषण कम करने के जो प्रयास किए हैं, कदम उठाए हैं, उनकी वजह से खुदकुशी की संख्या में कमी भी आई है। चीन में दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर खास तौर से मेट्रो शहर हैं। लाखों-करोड़ों की संख्या वाले बड़े शहरों के ऊपर हमेशा स्मोग छाया रहता है। पूरी दुनिया में होने वाले खुदकुशी के मामलों का 16 फीसदी हिस्सा चीन का होता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में खुदकुशी की दर में कमी आई है। इसके पीछे अन्य वजहें भी हो सकती हैं। जैसे आमदनी का बढ़ना, सांस्कृतिक बदलाव आदि। नई स्टडी में वायु गुणवत्ता का डेटा भी शामिल किया गया। इस स्टडी में यह पता चला कि कैसे खराब हवा में सांस लेने की वजह से लोगों के बीच आत्महत्या करने की इच्छा बढ़ जाती है।

प्रदूषण में रोकथाम से घटी आत्महत्याओं की संख्या

साल 2013 में चीन ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए बड़े कदम उठाने शुरू किए। एयर पॉल्यूशन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल एक्शन प्लान बनाया गया। जिसकी सहायता से उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण को कम किया गया। गाड़ियों के उत्सर्जन को संतुलित करने का प्रयास किया गया। कोयले की जगह प्राकृतिक गैस को बढ़ावा दिया गया। सौर ऊर्जा और पनचक्की को बढ़ावा दिया गया। इससे हवा में काफी सुधार आया लेकिन बहुत नहीं। इस दौरान सुसाइड की दर में भी कमी आई। 2010 से 2021 के बीच खुदकुशी की दर में सालाना 10.88 से 5.25 प्रति लाख व्यक्ति की कमी आई। चाइनीज यूनिवर्सिटी आॅफ हॉन्ग कॉन्ग के इकोनॉमिस्ट पेंग झांग कहते हैं कि हमारी टीम ने वायु प्रदूषण और खुदकुशी के संबंध को पता करने की कोशिश की और हैरान भी हुए।

सांस के रास्ते दिमाग तक जाते हैं घातक कण

यह कुछ ही घंटे के लिए होता है लेकिन इतने से ही हर हμते पीएम 2.5 की मात्रा हवा में एक फीसदी से ज्यादा बढ़ जाती है। ये खतरनाक कण सांस के रास्ते सीधे दिमाग तक जाते हैं। इससे दिमाग का केमिकल बैलेंस 24 घंटे के अंदर बदल जाता है, बिगड़ जाता है। इससे दिमागी हालत कमजोर होती चली जाती है। जब भी थर्मल इनवर्जन होता है तब कुछ हμतों के दौरान लोगों के बीच सुसाइड करने की संख्या बढ़ जाती है। अगर यह प्राकृतिक प्रक्रिया सात दिन से ज्यादा न भी रुके तब भी लोग सुसाइड करते हैं। चीन में सुसाइड रेट में कमी आई है। 2013 से 2017 के बीच चीन में 46 हजार लोगों ने खुदकुशी की थी। जो कि संख्या में बहुत कम थी। यह स्टडी हाल ही में नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुई है।