मप्र में 3% की दर से बढ़ रहे सुसाइड के केस, इसे रोकने बनी पॉलिसी NHM में अटकी

मप्र में 3% की दर से बढ़ रहे सुसाइड के केस, इसे रोकने बनी पॉलिसी NHM में अटकी

भोपाल। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या के मामले में मप्र का देश में तीसरा स्थान है। बीते कुछ सालों में सुसाइड के मामले करीब 3 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, इस साल के शुरुआती 6 महीने में ही प्रदेश में खुदकुशी के मामले 7 हजार से अधिक हो चुके हैं। सुसाइड के बढ़ते मामलों को देखते हुए बीते साल चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने देश में पहली बार मप्र में सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया था। इसके लिए टॉस्क फोर्स भी बनाया गया था, जिसमें देश के प्रसिद्ध मनोचिकित्सकों, विधि विशेषज्ञों, समाजशास्त्रियों को शामिल किया गया था। सितंबर 2022 में इसे लागू करने की बात कही गई थी। जानकारी के मुताबिक, मप्र में पॉलिसी बनने के बाद इसे केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया था। केन्द्र सरकार ने इस पॉलिसी को सभी राज्यों में लागू करने का निर्णय लिया था। प्रदेश में इस पॉलिसी को लागू करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को सौंपी थी, लेकिन यह अब तक लागू नहीं हुई है । बीते दो साल की एनसीआरबी की रिपोर्ट देखें, तो सुसाइड के मामले करीब तीन फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। 2020 में मप्र में सुसाइड के 14,578 केस दर्ज किए गए, जो 2ि021 में करीब 2.7 प्रतिशत बढ़कर 14,965 हो गए।

बढ़ रहे सामूहिक आत्महत्या के मामले

प्रदेश में सामूहिक आत्महत्या के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले 4 साल में मप्र में 32 परिवारों ने सामूहिक रूप से गले लगा लिया। इसमें 20 पुरुषों, 32 महिलाओं और 39 बच्चों समेत 91 लोगों की जान चली गई। यह जानकारी खुद गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा में दी थी। सामूहिक आत्महत्या के कारणों में सबसे ज्यादा पारिवारिक कारण ही थे। सामूहिक आत्महत्या के 23 मामले पारिवारिक कारणों से हुए।

क्या है सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी :

बीते साल इस पॉलिसी को तैयार किया गया था। यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जिसमें 2030 तक आत्महत्या की दर में 10 प्रतिशत की कमी लाने की बात कही गई है। पॉलिसी के माध्यम से आत्महत्या के मामलों को कम करने के लिए निगरानी तंत्र बनाने, मनोचिकित्सा के साथ जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को बढ़ावा देना था।

आत्महत्या के मुख्य कारण

33.2%: पारिवारिक समस्याएं (विवाह संबंधी समस्याओं के अलावा)

4.8%: विवाह संबंधी समस्याएं

18.6%: बीमार

पॉलिसी के मुख्य बिंदु? 

  • 3 साल में आत्महत्या के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करना। 
  • 5 साल में सभी जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से सेवाएं प्रदान कराना।

            (आंकड़े : एनसीआरबी 2021, पुलिस, चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग से लिए गए)

आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए पॉलिसी तैयार की जा रही है। जल्द ही इसे विस्तृत रूप में लागू किया जाएगा। हमारा उद्देश्य आगामी वर्षों में आत्महत्या के मामलों को कम करना है। - डॉ. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री

आत्महत्या की रोकथाम सबकी जिम्मेदारी है। घर-परिवार में शांति, सही समय पर मदद लेने और पेशेवर सलाह से ऐसी घटनाओं में कमी लाई जा सकती हैं। - डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी वरिष्ठ मनोचिकित्सक