होली के लिए तैयार हुए शक्कर के गहने, अंचलों से आ रही है ग्राहकी
इंदौर। होली के नजदीक आने के साथ शक्कर के कंगन में कई डिजाइनें हैं। हालांकि पारंपरिक माला में समोसा स्टाइल आज भी चल रही है। कुछ जगह पाटले के तौर पर मोटी चूड़ी भी डिमांड में बनी हुई है। शक्कर के जेवर कारोबारी बंटी भैया के अनुसार शक्कर के जेवर शहर में कम लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में खूब चलते हैं। यहां इसका उपयोग माला के तौर पर होता है। इसे एक ही लॉट में तैयार करते हैं। शक्कर की छोटी-बड़ी मालाएं, होलिका पूजन करने वाले लेते हैं। बाद में इसका प्रसाद भी बांटा जाता है।
गमी वाले परिवारों में देते हैं
जिन परिवारों में किसी तरह की कोई गमी हो जाती है, उनके घरों की डेहरी पर बहन-बेटियां होली के पूर्व जाकर होली का रंग डालती है। इस दौरान यह शक्कर के जेवर शोकग्रस्त परिवारों को प्रसाद स्वरूप देते हैं। ग्रामीण अंचलों में तो इसके निर्वहन के लिए सभी लोग जाते हैं। इसके कारण जेवरों की डिमांड लोकल की तुलना में 60 फीसदी तक अधिक रहती है। किसी तरह की गमी वाले परिवारों के यहां होली के अवसर पर मिलने के लिए जाने वाले शक्कर की मिठाई खास तौर पर लेकर जाते हैं। अनिल बिजौरे बताते हैं कि यह शगुन होता है। होली का कलर डल जाने का मतलब होता है, आगे से इस त्योहार को मना सकते हो। यह शोकग्रस्त परिवार को एक तरह से सांत्वना है।
कीमत 60 रुपए किलो
कारोबारी आनंद खंडेलवाल बताते हैं कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब शक्कर के गहनों के दामों में किसी तरह की बदलाव नहीं आया है। इसकी वजह है काफी समय से शक्कर के भाव में स्थिरता। शक्कर के गहने 50 से 60 रुपए किलो है।