कचरा वाहनों की लंबी गैरहाजरी से त्रस्त उपनगरीय क्षेत्र, सफाई सिस्टम हुआ फेल

कचरा वाहनों की लंबी गैरहाजरी से त्रस्त उपनगरीय क्षेत्र, सफाई सिस्टम हुआ फेल

जबलपुर। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इस व्यवस्था को संभालने वाली एस्सेल कंपनी नगर निगम प्रशासन को ठेंगे पर रखती आई है और मनमानी पर उतारू है। इस कंपनी को न तो नगर निगम टर्मिनेट ही कर पा रहा है और न ही व्यवस्थाओं में सुधार ही करवा पा रहा है। इसका खामियाजा शहर की जनता भुगत रही है जो घरों में कचरा जमा होने से हलाकान है। आलम यह है कि उपनगरीय इलाकों में बस्तियों में हफ्ते-हफ्ते भर टिपर वाहन नहीं पहुंच रहे हैं। चालाकी इतनी की जाती है कि पूरी तरह से यह व्यवस्था बंद न कर इसे मेन रोड पर तो चलाया जाता है मगर अंदर की गलियों में इनके न पहुंचने से घरों में इतने दिन का कचरा सड़ांध मारने लगता है जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। व

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गौरतलब है कि एस्सेल कंपनी नगर निगम से 1421 रुपए प्रति टन के हिसाब से कचरा परिवहन का चार्ज करती है और शहर से करीब 350 टन कचरा प्रतिदिन कठौंदा प्लांट पहुंचाया जाता है। कचरा कलेक्शन के लिए वह शहर के 79 वार्डों में 180 वाहन एस्सेल कंपनी के और 170 वाहन नगर निगम के चलते हैं। इनमें कंपनी के वाहन आधे खराब होते हैं जो मरम्मत के लिए आगा चौक स्थित डिपो में देखे जा सकते हैं। ईंधन व कर्मचारी बचाने के लिए इन्हें जान-बूझकर खराब रखा जाता है जिसका खामियाजा उपनगरीय इलाकों की बस्तियां उठाती हैं जहां ये वाहन कई-कई दिन तक कचरा लेने नहीं पहुंचते हैं।