स्टूडेंट्स मप्र के इतिहास, शैल पेंटिंग के साथ कला व संस्कृति को समझ रहे
स्टूडेंट्स को मप्र के इतिहास से रूबरू कराने के लिए एमएलबी कॉलेज में हिस्ट्री डिपार्टमेंट ने म्यूजियम और प्रयोगशाला को तैयार किया है, जिसमें स्टूडेंट्स एक जगह पर मप्र की अलग-अलग हिस्टोरिकल प्लेस को आसानी से समझ सकेंगे। वहीं भीमबेटका में जो आदिमानव काल की जीवन शैली पेंटिंग को जरिए दर्शाया गया है। इसके अलावा आदिमानव द्वारा चौसर खेल, राजा व महाराजा कालश्कर, हाथी और घोड़े की सवारी, शिकार, नृत्य के विविध तरीकों को पेंटिंग के माध्यम से दीवार पर उकेरा गया है। साथ ही खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर की प्रतिकृति को भी दर्शाया गया है।
सांची स्तूप और बौद्ध प्रतिमा भी शामिल
कॉलेज के म्यूजियम में 40 स्कल्प्चर को डिस्प्ले किया गया है। इसके अलावा वॉल पेंटिंग भी की गई है, जिससे छात्राओं को भोपाल का इतिहास और ऐतिहासिक काल की सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक विरासत को समझने का मौका मिल रहा है। इस म्यूजियम में मूर्तियों को राज्य संग्रहालय से प्रदान की गई हैं। वहीं नौ ग्रहों को भी मानव प्रतिकृति को दर्शाया गया है। सांची स्तूप, बुद्ध प्रतिमा के माध्यम से बौद्ध धर्म के बारे में बताया जा रहा है।
संग्रहालय में आदिमानव के बनाए हथियार भी
डॉ. अनीता सिंह ने बताया कि इस म्यूजियम में मप्र का आदिमानव काल का इतिहास और कला व संस्कृति को स्कल्प्चर के माध्यम से छात्राएं समझ रही हैं। इसमें पांच व छह हजार साल पुराने इतिहास को दर्शाया गया है। वहीं सिंधु घाटी की सभ्यता व संस्कृति, बर्तन, आदिमानव के बनाए हथियार आदि को शामिल किया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इस म्यूजियम को तैयार किया गया है। इसके माध्यम से छात्राओं को मप्र के इतिहास काल की सभ्यता व संस्कृति की जानकारी मिल रही है। -डॉ. अमिता सिंह, प्रोफेसर, इतिहास विभाग, एमएलबी