बिना सर्जरी क्लबफुट से किया जा रहा बच्चों के टेढ़े पैर को सीधा
इंदौर। जन्मजात जिन बच्चों के पैर टेढ़े हैं, उन्हें क्लबफुट से माध्यम से बिना सर्जरी ठीक किया जा रहा है। क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट दिल्ली संस्था इंदौर सहित भोपाल, सागर, रीवा, सीहोर जैसे कई शहरों में चल रही है। संस्था की शुरुआत दिल्ली के डॉ. संतोष जॉर्ज ने 2012 में भोपाल में की थी। 2015 में इंदौर के एमवाय में सप्ताह में दो दिन हड्डी विभाग की ओपीडी में इस तरह के मरीजों को डॉक्टर देखते हैं। इसके बाद उन्हें संस्था के पास भेजते हैं। पैरों की कंडीशन देखने के बाद इलाज शुरू होता है, जिन्हें आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती है, उन्हें प्लास्टर के माध्यम से ठीक करने की कोशिश की जाती है। अभी तक 5000 बच्चों के क्लब में रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। इसमें 3000 को प्लास्टर चढ़ाकर ठीक किया जा चुका है।
जो खड़ा नहीं हो सकता था, वह चलने लगा
अशोकनगर निवासी महेश ने बताया कि उसके बेटे संजू के पैर टेढ़े थे। वह चल फिर नहीं सकता था। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में छह माह इलाज चला, अब वह चलने लगा है।
उपचार के बाद चलने लगा रामकिशन
गुना निवासी रामकिशन आदिवासी ने बताया कि वे मालिश और तंत्र-मंत्र से टेढ़े पैरों से ठीक करने की कोशिश में लगे थे। बेटा संजय पांच साल का है, जो चल नहीं पा रहा है। छह बार प्लास्टर के बाद वह चलने लगा है।
एक साल पहले बैंक ने उठाया खर्च
एचडीएफसी बैंक ने पिछले साल इसकी जिम्मेदारी ली। बैंक द्वारा जहां भी क्लिनिक चल रहे हैं, वहां प्लास्टर से लेकर जूते तक का खर्च दिया था। इस बार रोटरी क्लब से बातचीत चल रही है।
एक बच्चे को 4-5 बार दिए जाते हैं शूज
मप्र प्रोग्राम को-आॅर्डिनेटर कुसुम मिंज ने बताया कि बच्चे का प्लास्टर से लेकर जूता तक नि:शुल्क दिया जाता है। इसमें पांच साल तक बच्चों को इलाज नि:शुल्क होता है। एक बच्चे को चार से पांच बार शूज दिए जाते हैं। इसकी कीमत एक हजार से 1200 रुपए होती है। सरकारी अस्पताल में यह इलाज 15 हजार में होता है।