गणगौर लोक नृत्य और लीला नाट्य ‘सती’ को देखकर भावविभोर हुए दर्शक

गणगौर लोक नृत्य और लीला नाट्य ‘सती’ को देखकर भावविभोर हुए दर्शक

मप्र जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना का आयोजन किया गया है। रविवार को खंडवा की नर्तकी अनुजा जोशी की टीम ने गणगौर लोक नृत्य की बेहद मनमोहक प्रस्तुति दी। जिसे देखकर दर्शक भावविभोर नजर आए। दर्शकों ने जमकर तालियां बजार्इं। इस मौके पर कोलकाता की सुमन साहा के निर्देशन में लीला नाट्य सती का मंचन भी किया गया। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मेंद्र पारे ने कलाकारों का स्वागत किया। गणगौर लोक नृत्य निमाड़ी जन-जीवन का गीति काव्य है। गणगौर निमाड़ के साथ राजस्थान, गुजरात, मालवा में भी उतना ही लोकप्रिय है।

नृत्य देखकर मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

सभागार में गणगौर लोक नृत्य देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध नजर आए। यह नृत्य चैत्र दशमी से चैत्र सुदी तृतीया तक पूरे नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान महिला और पुरुष रनु बाई और धणियर सूर्यदेव के रथों को सिर पर रखकर नाचते हैं।

नाटक में 40 कलाकारों ने किया अभिनय

कोलकाता की सुमन साहा के निर्देशन में लीला नाट्य सती का मंचन किया गया। इस नाटक में शिव-सती की कथा को दर्शाया गया। नाटक का मूल लेखन डॉ. ददन उपाध्याय एवं संपादन रीवा के योगेश त्रिपाठी द्वारा किया गया है। इसका संगीत किशन रॉय, जमशेदपुर और प्रकाश परिकल्पना अतुल मिश्रा द्वारा की गई है। लगभग डेढ़ घंटे के लीला नाट्य में लगभग 40 कलाकारों ने अभिनय किया।