टाईगरों की सुरक्षा के लिए गठित की जाए स्पेशल फोर्स
जबलपुर। प्रदेश में टाईगरों की सुरक्षा के लिए स्पेशल फोर्स के गठन सहित अन्य आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। मामले में सरकार की की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर आवेदक की ओर से रिज्वाइंडर पेश करने समय की राहत चाही गई है। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 4 सप्ताह के लिये मुलतवी कर दी। यह जनहित का मामला वन प्राणी एक्टिविस्ट भोपाल निवासी अजय दुबे की ओर से साल 2021 में दायर किया गया था। जिसमें कहा गया था कि देश में सबसे अधिक टाईगर की संख्या मध्य प्रदेश में है।
टाईगर स्टेट का दर्जा होने के बावजूद भी प्रति वर्ष मध्य प्रदेश में टाईगर की मौतों के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है। इस वर्ष प्रदेश में 36 टाइगरों की मौत हुई है। साल 2012 से 2019 के बीच कान्हा नेशनल पार्क में 43 टाईगर, बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 38 टाईगर, पेंच नेशनल पार्क 17, सतपुड़ा नेशनल पार्क में 4, पन्ना नेशनल पार्क में 7 टाइगरों की मौत हुई है। टाइगरों की मौत के मामले में कान्हा नेशनल पार्क देश में प्रथम तथा बांधवगढ़ चौथे स्थान पर है। याचिका में प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा जारी नोटिफिकेशन का हवाला दिया गया था। जिसमें टाइगरों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए 13 बिंदुओं पर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इतना ही नहीं नोटिफिकेशन में इस बात का उल्लेख भी किया गया था कि कई शव ऐसी हालत में मिले हैं कि उनका पोस्टमार्टम करवाना भी संभव नहीं है।
नोटिफिकेशन में टाइगरों की संदिग्ध मौत का हवाला भी दिया गया है। याचिका में मांग की गई थी कि प्रदेश में अवैध शिकार रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। इसके अलावा टाइगरों की सुरक्षा के लिए स्पेशल फोर्स तैनात की जाए। वहीं वन विभाग की ओर से पेश किए गए जवाब में बताया गया था कि साल 2012 से 2020 के बीच प्रदेश में 208 टाइगरों की मौत हुई है। जिसमें से 144 टाइगरों की प्राकृतिक मृत्यु हुई है। आपसी लड़ाई में 17 टाइगरों की मौत हुई है तथा 47 टाइगरों का शिकार किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आदित्य संघी के आग्रह पर युगलपीठ ने जवाब पर रिज्वाइंडर पेश करने 4 सप्ताह का समय प्रदान किया है।