जल्द ही भारतीय यूजर्स के पास होगा अपना ब्राउजर

जल्द ही भारतीय यूजर्स के पास होगा अपना ब्राउजर

नई दिल्ली। वेब या इंटरनेट ब्राउजर में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा है। ऐसे नहीं है कि भारतीय टेक कंपनियों के पास अपने ब्राउजर नहीं है, लेकिन जब बात इस्तेमाल की आती है तो उसमें गूगल क्रोम और एप्पल सफारी ही बाजी मारते हैं। अब एप्पल और गूगल की बादशाहत को टक्कर मिलने वाली है, क्योंकि भारत सरकार खुद के वेब ब्राउजर को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार ने एक भारतीय वेब ब्राउजर विकसित करने के लिए एक ओपन चैलेंज प्रतियोगिता शुरू की है। नई दिल्ली में भारतीय वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज में प्रमाणन प्राधिकारियों के नियंत्रक अरविंद कुमार ने कहा कि समय आ गया है कि आभासी दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण हथियार, वेब ब्राउजर, भारत में विकसित हो।

अमेरिकी कंपनियों के ब्राउजर से डाटा लीक होने का खतरा :

भारतीय बाजार में वेब ब्राउजर के क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा है। गूगल क्रोम से लेकर फायरफॉक्स और एप्पल सफारी तक अमेरिकी कंपनियों के ब्राउजर हैं और इनके साथ डाटा लीक का खतरा है, क्योंकि इनके सर्वर भारत से बाहर ही हैं। वहीं देश के चैलेंज में हिस्सा लेने के लिए कोई भी स्टार्टअप अप्लाई कर सकता है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट आॅफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडीएसी), बेंगलुरू को इस प्रतियोगिता के लिए एंकर एजेंसी चुना गया है।

इसलिए किया गया फैसला :

सीडीएसी के कार्यकारी निदेशक एसडी सुदर्शन ने कहा कि भारत इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की सबसे बड़ी संख्या वाले देशों में से एक है और यहां विदेशी कंपनियों का कब्जा है। ऐसे में ब्राउजर के सर्च रिजल्ट को ये कंपनियां अपने हिसाब से बदल सकती हैं। इसके अलावा कैशे और कुकीज डाटा की मदद से यूजर्स को ट्रैक भी किया जा सकता है, जो उचित नहीं है। विदेशी ब्राउजर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वे रूट स्टोर में भारतीय प्रमाणन एजेंसियों को शामिल नहीं करते हैं।