कोई जीता-कोई हारा, अब होगा क्षेत्रवार परिणामों का पोस्टमार्टम
जबलपुर। चुनाव परिणामों के साथ ही जहां भाजपा खेमे में जश्न का माहौल देखा जा रहा है वहीं कांग्रेस में सन्नाटा है। जीती सीटों पर जहां कार्यकर्ताओं की गे्रडिंग तय होने लगी है और समर्पित भाव से जिस कार्यकर्ता ने अपने प्रत्याशी के लिए जी-जान लगाकर मेहनत की है उसे करीबियों में शामिल किया जा रहा है तो अन्य को भी उत्साहित किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ अब चुनाव परिणामों का पोस्टमार्टम चालू होगा। हारी सीटों के प्रत्याशी बूथ मैनेजमेंट से लेकर अपनी टीम की खबर ले रहे हैं। आने वाले दिनों में यही सब चलने वाला है। जहां कांग्रेस को ऐसी करारी हार की उम्मीद नहीं थी तो खुद भाजपा को भी ऐसी प्रचंड जीत की उम्मीद नहीं थी।
भाजपा नेतृत्व ने रखी एकएक सीट पर कड़ी नजर
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व ने टिकट वितरण से लेकर पूरे चुनाव संचालन पर कड़ी नजर रखी। जहां भी असंतोष या कमी नजर आती थी उसे दूर करने प्रभावी कदम उठाए जाते थे। उदाहरण के रूप में उत्तर-मध्य सीट सामने है,यहां पर अभिलाष पांडे को टिकट की घोषणा होने के साथ ही यहां के बड़े नेताओं ने असंतोष जताते हुए समर्थको के द्वारा संभागीय कार्यालय में तोड़-फोड़ तक करवाई थी,इसे लेकर खुद अमित शाह जबलपुर आए और एक दिन में दो बार आए। उन्होंने असंतुष्टों से वन टू वन बात की और उन्हें जो कुछ भी कहा,उसका असर ये हुआ कि अभिलाष यहां से अच्छे मतों से विजयी हुए। इसी तरह पश्चिम सीट में सांसद राकेश सिंह को उतारा गया जो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े। शुरूआती दौर में यहां से कई दावेदार थे जिन्हें काम करने की समझाईश दी गई और कार्यकर्ताओं को भी निचले स्तर तक एक्टिव होने कहा गया। श्री सिंह ने भी अपनी रिजर्व छवि को तोड़ते हुए जनता से सीधा संवाद किया और क्षेत्र के हर घर हर बस्ती तक पहुंचने का प्रयास किया। उन्होंने पहली बार पश्चिम क्षेत्र के लिए विजन प्लॉन प्रस्तुत किया जो यहां के प्रबुद्ध मतदाताओं को भाया,नतीजतन सुनिश्चित जीत का दावा करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस की कमजोर कैंपेनिंग
परिणामों के बाद अब चर्चा में ये बात भी है कि पूरे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की कैंपेनिंग कमजोर रही। पार्टी के बड़े नेताओं के कम दौरे,कम सभाएं और प्रत्याशियों को भगवान भरोसे छोड़ना हार की वजह बना। एंटी एन्कमबेंसी और अंडर करंट का फायदा मिलने का भ्रम महंगा पड़ा।
भाजपा करेगी पूर्व क्षेत्र की समीक्षा
पूरे जिले की 8 में से केवल 1 सीट पूर्व विधानसभा भाजपा ने गंवाई है। इसे लेकर समीक्षा सुनिश्चित है। यहां धर्म विशेष ने भाजपा को मत नहीं दिए। लोग बताते हैं कि धर्म स्थल से बाकायदा लाउडस्पीकर से भाजपा को वोट न देने की अपील की गई थी।इस विस में चूंकि इनकीसंख्या भी खासी है लिहाजा यहां से कांग्रेस जीत गई। इसके अतिरिक्त भी कमियां कहां रह गईं इसकी समीक्षा होगी।
सजा दो घर को गुलशन सा
शहर के प्रमुख क्षेत्रों में लगे लाउड स्पीकरों से सोमवार को एक ही गीत बार-बार सुनाया जाता रहा। जो कि जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे,सजा दो घर को गुलशन सा मेरे घर राम आए हैं। हालाकि चुनावी जीत के लिए फेमस अन्य फिल्मी गीत भी बजते रहे। जीते हुए प्रमुख नेताओं के दिल्ली जाने के चलते सोमवार के विजय जुलूस स्थगित हो गए हैं मगर ये जल्द निकाले जाएंगे।
अपने ही बूथ पर नहीं जीत पाए चिंटू
केंट सीट जहां कांग्रेस से अभिषेक चौकसे चिंटू चुनाव लड़े उन्हें अपने घरेलू बूथ में ही जीत नहीं मिली। वे जहां रहते हैं वहां रोहाणी को 300 तो खुद को 187 वोट मिले हैं। उन्हें मिले 46 हजार वोटों पर भी लोग आश्चर्य जता रहे हैं। वे भाजपा के अशोक रोहाणी से 30 हजार से अधिक मतों से हारे हैं।