पेड़ों को बचाने शहर के समाजसेवी लगा रहे तख्ती

पेड़ों को बचाने शहर के समाजसेवी लगा रहे तख्ती

ग्वालियर। हरियाली को देखकर आए दिन दुहाई दी जाती है, वृक्ष है तो कल है, लेकिन हकीकत कुछ अलग ही होती है। पौधे लगाए जाते हैं, देखरेख के अभाव में यह पौधे आकार नहीं पाते और जो वृक्ष बन जाते हैं, उन्हें विकास के नाम पर काट दिया जाता है। शहर के एक समाजसेवी मनीष काले ऐसे है, जो कि वृक्षों को बचाने का काम कर रहे हैं। उन्हें जहां भी पेड़ काटने संबंधी सूचना मिलती है, तो वह नंबरिंग कर पेड़ पर तख्ती लगा देते हैं कि मैं तुम्हें जीवन दे रहा हूं, तुम मुझे ही काट रहे हो। उनके इन प्रयासों से 2020 से अभी तक कुल 3,300 पेड़ कटने से बचे हैं।

मनीष काले अपना पूरा समय केवल समाजसेवा को ही देते हैं। पौधरोपण को बढ़ावा देना ही इनका ध्येय है। वे हरे भरे वृक्षों को काटने से बचाने के लिए हित रक्षा अभियान चला रहे हैं और इसके लिए सरकारी विभागों से भी विरोध लेने को हमेशा तैयार रहते हैं। इस काम में उनके साथ वरिष्ठ भाजपा नेता राज चड्ढा भी बखूबी निभाते हैं। इन दोनों के प्रयासों से शासन के पुनर्घनत्वीकरण योजना का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। समाजसेवी काले का कहना है कि शासन विकास के नाम पर कागजों में हेराफेरी कर पुराने पेड़ों को बेतहाशा काट रहा है।

बिना पेड़ काटे निर्माण के लिए बनाएंगे डिजाइन

समाजसेवी काले बताते हुए हैं कि वह विकास कार्य के विरोध में नहीं हैं, लेकिन जीवन देने वाले वृक्षों को काटकर विकास सही नहीं है। उनका कहना है कि हम शासन को यह प्रस्ताव भी दे चुके हैं कि वह आर्किटेक्ट से इस प्रकार का डिजाइन बनवाने को तैयार हैं, जिसमें पेड़ भी नहीं कटेंगे और विकास कार्य भी होगा। वे सिरोल पहाड़ी पर पेड़ सूखने वाले मामले में भी मुहिम चलाएंगे।