‘कथली’ नदी के पानी से कभी होते थे चर्मरोग दूर, अब गंदगी की भरमार

‘कथली’ नदी के पानी से कभी होते थे चर्मरोग दूर, अब गंदगी की भरमार

जबलपुर/उमरिया। विंध्य और मैकल पर्वत शृंखला के तलहटी क्षेत्रों में बसा उमरिया का चंदिया नगर चर्मरोग नाशक कथली नदी के लिए भी मशहूर है। बताया जाता है कि इस नदी में नहाने से चर्म रोग ठीक होते हैं। लेकिन, मानव जाति का कल्याण करने वाली कथली नदी स्वयं के उद्धार को तरस रही है। उमरिया जिला मुख्यालय के अंतर्गत चंदिया तहसील की कथली नदी प्रशासन द्वारा निगरानी और साफ-सफाई के अभाव में नाले के रूप में तब्दील हो गई है।

कथली नदी का उद्गम चंदिया से करीब 4 किमी दूर बरम बाबा के पास से हुआ है। जो चंदिया नगर से होते हुए कटनी मार्ग पर 3 किमी दूर जाकर महानदी में और महानदी आगे जाकर सोन नदी में मिल जाती है। उद्गम स्थल के बाद नदी नगर में प्रवेश के साथ ही लगातार गंदगी के चलते प्रदूषित हो रही है। स्थानीय निवासी अंजनी द्विवेदी ने बताया कि रेत के अवैध उत्खन और सफाई न होने से यह सूखने की कगार पर है।

गंगा की तरह मान्यता

कथली नदी के प्राकृतिक गंधक युक्त जल की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। इसके पानी की मान्यता इतनी है कि पवित्र गंगा की तरह चंदिया की कथली नदी का पानी भी दूर-दूर से आए लोग ले जाते हैं। इसके गुणों के कारण लोग इसे कथली गंगा भी कहते हैं।

सल्फर का प्रभाव

डॉक्टर प्रमोद द्विवेदी का कहना है कि, कथली नदी के पानी में नहाने से खाज-खुजली व अन्य चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। दरअसल, पानी की टेस्ट रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इसमें सल्फर की मात्रा ज्यादा होने से चर्म रोग ठीक हो जाता है।

कथली नदी में पहले जैसी धार नहीं रही। सिर्फ बारिश में ही नदी की धार दिखती है। बरसात के बाद नदी की धार पतली होकर यह नाम मात्र की ही नदी रह जाती है। - चंद्र प्रताप तोमर, स्थानीय निवासी, चंदिया

चंदिया निवासी मुख्तार अहमद ने बताया कि कथली नदी में प्रदूषण व रेत के अवैध उत्खनन से नदी सूख चुकी है। प्रशासन के साथ आम जन को भी इसकी स्वच्छता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। -मुख्तार अहमद, रहवासी, चंदिया