भाजपा की नई सरकार में इंदौर के छह विधायकों का दावा
इंदौर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों ने यह साफ कर दिया है की प्रदेश में एक बार फिर भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। प्रदेश में भाजपा की ऐसी लहर चली कि अच्छे-अच्छे नेताओं को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। मालवा का केंद्र कहे जाने वाले इंदौर की 9 विधानसभा सीटों पर भी भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी 9 सीटें अपने नाम कर लीं। जिले में भाजपा की क्लीन स्वीप से जिले के भाजपा नेताओं के साथ-साथ पूरा शहर भाजपा की नई सरकार के मंत्रिमंडल का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। पिछले चुनावों में भाजपा ने जिले में 5 सीटों पर कब्जा जमाया था और बाद में तुलसीराम सिलावट के भाजपा में शामिल होने से यह आंकड़ा 6 सीटों का हो गया था। 2020 में बनी भाजपा सरकार में जिले के 2 विधायकों को मंत्री पद प्राप्त हुआ था। तब इंदौर के कोटे से सांवेर से विधायक तुलसीराम सिलावट और महू सीट से विधायक उषा ठाकुर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन यह दोनों सीटें ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं... ऐसे में इंदौर शहर को एक भी मंत्री पद नहीं मिल पाया था, लेकिन इस बार जिले की सभी 9 सीटों पर शानदार जीत करने के बाद जिले के भाजपा नेता मजबूती के साथ मंत्री पद पर दावा ठोंक रहे हैं।
भाजपा की जीत सनातन विरोधियों के लिए सबक -उषा ठाकुर
भाजपा की अजेय और हिंदुत्व की फायर ब्रांड नेता उषा ठाकुर ने महू में दूसरी बार बड़े अंतर से त्रिकोणीय मुकाबला आसानी से जीतकर एक बार अपने नाम का लोहा मनवा दिया। महू से उषा ठाकुर ने 34392 मतों से जीत हासिल की, साथ ही उन्होंने पूरे प्रदेश में भाजपा की जीत को मोदी मैजिक बताते हुए सनातन विरोधियों पर निशाना साधा और भाजपा की प्रचंड जीत को सनातन विरोधियों के लिए सबक बताया। ठाकुर ने कहा कि चुनाव में मोदी मैजिक चला है, वहीं कहा कि शिवराज सरकार के काम व लाड़ली बहनों ने प्रचंड जीत की शिल्पकार रही हैं, वहीं ठाकुर ने कहा कि महू में पार्टी विरोधी काम करने वालों की मिली शिकायत, जिस पर भी मंथन किया जाएगा और संगठन तक मामला पहुंचाया जाएगा।
जिले की 9 सीटों पर 6 दावेदार
जिले की सभी 9 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भाजपा नेताओं के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में कई विधायक मजबूती के साथ अपना दावा पेश कर रहे हैं, जिनमें इंदौर शहर से कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़ और महेंद्र हार्डिया शामिल हैं तो वहीं ग्रामीण सीटों से मंत्री तुलसीराम सिलावट और उषा ठाकुर एक बार फिर मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं।
कैलाश विजयवर्गीय
भाजपा के कद्दावर नेता और विधायक कैलाश विजयवर्गीय ऐसे तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं, पर मुख्यमंत्री ना बनाए जाने की स्थिति में उन्हें उप मुख्यमंत्री या फिर कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर संतुलन बैठाया जा सकता है। विजयवर्गीय पूर्व में भी शिवराज सरकार में कई अहम् मंत्रालय संभाल चुके हैं। ऐसे में उनका दावा मजबूत माना जा रहा है।
रमेश मेंदोला
लगातार तीन बार से रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर रहे इंदौर की विधानसभा-2 से विधायक रमेश मेंदोला भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। मेंदोला पिछले दो चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीत रहे हैं और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने प्रदेश में सर्वाधिक 1 लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है। ऐसे में उनका नाम भी मंजबूती से आगे चल रहा है।
मालिनी गौड़
भाजपा की अयोध्या कही जाने वाली विधानसभा-4 से विधायक मालिनी गौड़ लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर विधायक बनी है और प्रदेश में टॉप-10 विजेता में शामिल है। ऐसे में उनका दावा भी काफी मजबूत है। लंबे समय से विधायक होने के साथ-साथ उन्हें महिला विधायक होने का फायदा भी मिल सकता है।
महेंद्र हार्डिया
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री महेंद्र हार्डिया भी लगातार पांचवीं बार चुनाव जीत कर विधानसभा जाएंगे। ऐसे में उन्हें जिले के सबसे अनुभवी विधायक होने का फायदा मिल सकता है। हार्डिया पूर्व में भी शिवराज सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर शहर को महेंद्र हार्डिया के रूप में मंत्री पद मिल सकता है।
तुलसीराम सिलावट
सांवेर विधानसभा सीट से विधायक तुलसीराम सिलावट का दावा जिले में मंत्री पद की दौड़ में सबसे मजबूत है। सिलावट 15 महीने की कांग्रेस सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और पाला बदलने के बाद 2020 में बनी भाजपा सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। ऐसे में उन्हें एक बार फिर मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। सिलावट को सिंधिया का समर्थन भी प्राप्त है।
उषा ठाकुर
भाजपा की फायर ब्रॉण्ड नेता और लगातार दो बार से महू विधानसभा सीट पर दर्ज कर रहीं उषा ठाकुर का नाम भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल है। उषा ठाकुर चार बार अलग-अलग सीटों पर लड़कर चुनाव जीत रही हैं और इस बार उन्होंने महू विधानसभा सीट से जीत दर की है। वे वर्तमान सरकार में भी संस्कृति मंत्रालय संभाल चुकी हैं।