बहनों ने निभाया राखी का फर्ज, किडनी देकर बचाई भाइयों की जिंदगी

रक्षाबंधन : बहनों की रक्षा का वचन भाई देते हैं, लेकिन कई ऐसी बहनें हैं जिन्होंने भाइयों के जीवन की रक्षा की

बहनों ने निभाया राखी का फर्ज, किडनी देकर बचाई भाइयों की जिंदगी

भोपाल। रक्षाबंधन पर बहन, भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उससे प्रण लेती है कि वह हमेशा उसकी रक्षा करेगा। लेकिन कुछ बहनें ऐसी भी हैं जिन्होंने जान की परवाह किए बिना यह फर्ज निभाया। इन बहनों ने अपनी किडनी भाई को डोनेट की। रक्षाबंधन के मौके पर हम रक्षा सूत्र में बंधे भाई-बहन की कहानियों से रूबरू करा रहे हैं।

अपनी जिंदगी की नहीं की परवाह

26 साल की प्राची सक्सेना के छोटे भाई अंकुर को बचपन से ही किडनी की समस्या थी। बड़े होने पर पता चला कि कडनी खराब है और ट्रांसप्लांट की जरूरत है। अंकुर की बड़ी बहन पीपुल्स अस्पताल की डॉ. शुभी महेश्वरी ने बताया कि उनकी छोटी बहन प्राची ने कहा कि वह किडनी देगी। परिवार ने उसे भविष्य को देखते हुए समझाया, लेकिन वह नहीं मानी और मार्च 2023 में भाई का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया।

एक ही किडनी थी वो भी खराब हो गई

कोलार निवासी अतुल सक्सेना (49) को बचपन से ही एक किडनी थी। उन्हें इसका पता 2016 में चला। बीपी होने के कारण किडनी खराब होने लगी थी। 2021 में डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई। उनकी चार बहनें हैं, सभी किडनी देने को तैयार थीं। जांच में छोटी बहन ममता का ब्लड ग्रुप मैच हो गया। ममता के ससुराल वालों ने भी उसका आत्मविश्वास बढ़ाया। मार्च 2022 में उनका ट्रांसप्लांट किया गया।

परिवार ने भी दिया बहन का साथ

32 साल के जितेंद्र साहू किडनी की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे थे। 2021 में पता चला कि उनकी दोनों किडनी खराब हैं, तो बड़ी बहन सुषमा ने अपनी किडनी डोनेट करनी की इच्छा जताई। डॉक्टरों ने सुषमा के परिवार वालों को उसकी इच्छा के बारे में बताया। ससुराल वालों ने भी सुषमा का साथ दिया। 2022 में ट्रांसप्लांट के बाद भाई-बहन दोनों स्वस्थ हैं। जितेंद्र कहते हैं- बहन ने जो मुझे दिया है, उसके आगे सारे तोहफे छोटे हैं।