देश में एक साथ हुए चुनाव तो बढ़ेगा आयोग का खर्चा

5,100 करोड़ की ईवीएम और वीवीपैट के लिए चाहिए 8 हजार करोड़ रु.

देश में एक साथ हुए चुनाव तो बढ़ेगा आयोग का खर्चा

नई दिल्ली। संसद के 18 सितंबर से बुलाए गए विशेष सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन भी एक एजेंडा हो सकता है। केंद्र सरकार इस पर पिछले 5 महीनों से काम कर रही है। केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए जो पैनल बनाया है, उससे पांच महीने पहले ही कानून मंत्रालय भारतीय चुनाव आयोग से इसके बारे में चर्चा कर चुका है और डिटेल मांग चुका है। सरकार ने चुनाव आयोग से 2024 या 2029 में एक साथ चुनाव करवाए जाने की संभावनाओं के आधार पर ईवीएम, वीवीपैट, और संबंधित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आवश्यकताओं की डिटेल देने को कहा था। अब चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि अगर 2024 या 2029 में देश में एक साथ चुनाव करवाए जाने का फैसला लिया जाता है तो अतिरिक्त ईवीएम की खरीद के लिए 5,100 करोड़ रुपए और वीवीपैट के लिए 8,000 करोड़ रुपए तक की लागत आ सकती है। चालू वित्त वर्ष (2023-24) के बजट में 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ईवीएम-वीवीपैट की खरीदारी के लिए करीब 1,900 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।

सेमीकंडक्टर की सप्लाई हो सकती है चुनौती

मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार 2021 में दिए गए खरीद के आदेश और फरवरी 2023 में दिए गए सरकारी आॅर्डर को मिलाकर कुल 30.78 बैलेट यूनिट, 22.14 सेट्रल यूनिट और 23.86 वीवीपैट का हिसाब लगाया गया है। लेकिन, 2024 में एक साथ चुनाव करवाए जाते हैं तो 15.97 बैलेट यूनिट, 11.49 सेट्रल यूनिट और 12.36 वीवीपैट इसमें कम पड़ेगी। हालांकि,इसमें सेमीकंडक्टर की सप्लाई में कमी के प्रति भी आगाह किया गया है, जिससे समय पर खरीद में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

चुनाव आयोग ने दी थी ये डिटेल:

चुनाव आयोग ने हिसाब लगाकर सरकार को यह अंदाजा दिया था कि अगर 2024 में लोकसभा के साथ ही देश में सारे चुनाव भी करवाए जाते हैं, तो 46,75,100 बैलेट यूनिट, 33,63,300 कंट्रोल यूनिट और 36,62,600 वीवीपैट की आवश्यकता पड़ेगी।

2024 में बढ़कर 10.36 लाख हो जाएंगे मतदान केंद्र

अगर 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ किसी वजह से एक साथ चुनाव संभव नहीं हो पाया तो 2029 में लागत में और बढ़ोतरी होगी। इसकी वजह ये है कि तब तक युवा वोटरों की संख्या बढ़ जाएगी। वहीं संभावित परिसीमन की वजह से चुनाव क्षेत्र बढ़ने से मतदान केंद्र भी बढ़ेंगे। 2019 के आम चुनाव में देश में कुल 10.36 लाख मतदान केंद्र थे, जिसके 2024 में बढ़कर 11.8 लाख हो जाने का अनुमान है। जबकि, 2029 के आम चुनावों में इसमें भी करीब 15% बढ़ोतरी का अनुमान है, जो कि 13.57 लाख तक हो सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की 15 साल होती है उम्

चुनाव आयोग के अनुसार वन नेशन वन इलेक्शन योजना के तहत एक साथ चुनाव कराने से और भी परेशानी बढ़ेगी। इसके तहत सामान्य तौर पर चुनावी उपकरणों की उम्र 15 साल ही होती है। इसलिए, 2013-14 से इस्तेमाल में आए 3.57 लाख बैलट यूनिट और 1.25 लाख सेंट्रल यूनिट 2029 में काम के लायक नहीं रह जाएंगे। कुल मिलाकर चुनाव आयोग के मुताबिक 2029 के चुनावों तक इन मशीनों की कमी को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 7,950 करोड़ रुपए की लागत आ सकती है।