कोविड में पिये काढ़े का साइड इफेक्ट, बढ़े पाइल्स के मरीज
जबलपुर। हैदराबाद से आई सीनियर सर्जन डॉ. शांति वर्धनी ने बताया कोविड के बाद पाइल्स के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसका एक बड़ा कारण लंबे समय तक बिना विशेषज्ञ की सलाह के पिये गए काढ़े और वर्किंग फार्म होम है। डॉ. वर्धनी ने यह बात पीपुल्स समाचार को दिये गए साक्षात्कार में दी। उन्होंने बताया कि जनरल सर्जरी के 100 मरीजों में करीब 62 से 70 प्रतिशत तक मरीज पाइल्स के सामने आ रहे हैं।
बड़े पाइल्स का इलाज लेजर से संभव नहीं
डॉ. वर्धनी ने बताया कि बड़े पाइल्स की सर्जरी लेजर से संभव नहीं है। अभी पेन लेस सर्जरी के लिए चिवटे टेक्नीक से उपचार किया जा रहा है लेकिन यह बड़े शहरों तक ही सीमित है इसे छोटे जिलों में ले जाने के लिए हमारी सोसायटी प्रयास कर रही है।
लेजर से बेहतर स्टेपलर तकनीक : डॉ. अग्रवाल
गंगाराम हॉस्पिटल नई दिल्ली के वरिष्ठ सर्जन डॉ. ब्रज बी अग्रवाल ने बताया पाइल्स के इलाज में लेजर से बेहतर स्टेपलर तकनीक है। पाइल्स महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक देखने में आ रहा है।
मसाला खाना खाने से नुकसान नहीं
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि यदि लोग अपने भोजन में फाइबर की मात्रा ले तो वे इससे बच सकते है। यह भ्रांति है कि मसाला खाना खाने से नुकसान होता है। यदि कोई इससे पीड़ित और सर्जरी करा चुका है तो उसे सलाद, हरा साग भोजन में अधिक मात्रा में लेना चाहिए। इसमें फाइबर अधिक होता है जो इससे राहत दिलाता है।
हर चौथे, पांचवे मरीज के दोबारा पीड़ित होने की संभावना: डॉ. राहटे
इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ कोलो प्रोटोलॉजी के प्रेसीडेंट डॉ. प्रकाश राहटे नागपुर ने बताया कि विश्व के हर चौथे, पांचवे मरीज को सर्जरी के बाद भी दोबारा पाइल्स होने की संभावना होती है। पाइल्स, फिशर, फिस्टुला, एपसिस, पायनोडिलसाइनिस के मरीजों के उपचार के लिए अब नई-नई तकनीकें आ रही है। सोसायटी का फोकस अब सर्जरी में जटिलताओं को कम करने व बीमारी रहते ऑपरेशन न कर मरीजों को ठीक करने पर है। अभी चिवटे टेक्नीक अत्याधुनिक तकनीक है सोसायटी इसके लिए ट्रेनिंग दे रही है। आईएससीपी में अभी 3000 हजार मेंबर है जो कि पूरे देशभर में नई तकनीक से मरीजों को उपचार देने का काम कर रहे हैं।