ग्वालियर अंचल के डैमों में पानी की किल्लत, फसल को नुकसान की आशंका
ग्वालियर। अवर्षा के कारण ग्वालियर अंचल के डैम (बांध) में पानी कम भरा होने के कारण सिंचाई के लिए दिक्कत खड़ी हो गई है। उधर 36-37 डिग्री सेल्सियस तापमान के कारण धान की फसल के लिए घातक साबित हो सकती है। खरीफ की फसल के लिए पानी की किल्लत को देखते हुए ग्वालियर से श्योपुर तक किसानों के दबाव के बाद कोटा बैराज से चंबल नहर 5 दिन और चलाने का निर्णय लिया है। ग्वालियर-चंबल संभाग में श्रावण मास में वर्षा कम होने से स्थितियां खराब हो गईं हैं। अंचल के डैम लबालब नहीं हो सके इसलिए नहरें चलाने में दिक्कत हो रही है। हरसी डैम में पानी 58 फीसदी तक बचने के कारण नहर चलाना बंद कर दिया है। इसका धान की फसल पर बुरा असर दिख रहा है।
श्योपुर, भितरवार, डबरा, गोहद में किसान धान की फसल की पैदावार करता है लेकिन तापमान ज्यादा होने के कारण फसल पर बुरा असर देखने में आ रहा है। 26 अगस्त से निरंतर अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस से 37.4 डिग्री सेल्सियस तापमान चल रहा है। कृषि वैज्ञानिक इस बढ़े हुए तापमान को फसल के लिए अच्छा नहीं मान रहे। कृषि विज्ञान केन्द्र का कहना है कि इस बढे हुए तापमान के कारण अगर धान में पानी भरकर रखा गया तो उसके गरम होने के कारण फसल के पत्ते पीला पड़ना, फसल का कमजोर होना, दाने की चमक कम होना । झुलसना, कीट लगने का अनुमान है।
गांधीसागर के भरोसे है कोटा बैराज
ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर के किसानों ने कमिश्नर के जरिए कोटा बैराज के जिम्मेदारों पर दबाव बनाया है कि फसल की जरूरत के हिसाब से अभी नहर और चलाई जाए। बैराज के ईई संदीप सोहेल कहते हैं कि अभी पांच दिन और नहर चलेगी।
तापमान अधिक होने के कारण शाम 4 बजे के बाद और सुबह 9 बजे तक स्ािंचाई की जाना ज्यादा उचित प्रतीत होता है। राज सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र