ननि की आय बढ़ाने बेशकीमती जमीनों पर बनें शॉपिंग मॉल्स
जबलपुर। शहर के मुख्य इलाकों में नगर निगम की बेशकीमती जमीने खाली पड़ी हुई हैं जहां पर इनका उपयोग न होने के चलते नगर निगम अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं कर पा रहा है। इस बारे में इस बार बजट में प्रावधान तो किया गया है मगर अभी तक इसका प्रारूप स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि बजाय पीपीपी प्रावधान के यदि नगर निगम दो-चार जमीनों पर भी यदि खुद अपने पैसों से कामर्शियल कॉम्प्लेक्स तैयार कर ले तो वह अरबों रुपए का मालिक बन सकता है,और इसके साथ ही स्थाई आय के साधन भी बन सकते हैं।
कुछ चुनी हुई संपत्तियों के अलावा नगर निगम की ज्यादातर जमीनें कब्जों में हैं,जिसकी ओर जिम्मेदारों का ध्यान तक नहीं है। नगर निगम की करीब ढाई हजार दुकानें शहर भर में हैं जो मामूली किराए पर चल रही हैं। आपको जानकर शायद आर्श्च हो कि इनका किराया आज भी 50 साल पुरानी दरों पर लिया जाता है,इसमें किराएदारों ने अपने उप किराए दार रख लिए हैं जो नगर निगम में मामूली किराया जमा कर खुद 25 से 50 हजार रुपए महीना तक वसूलते हैं। पुराना किराया 100 रुपए से 500 या एक हजार रुपए तक ही वे जमा करते हैं।
ये जगह उगल सकती हैं सोना
नगर निगम मुख्यालय से लगी पुराने बस स्टैंड की जमीन,नेहरू उद्यान के बगल में कमांडेंट कार्यालय की जमीन और सिविक सेंटर चौपाटी से लगी करगिल ग्राउंड की जमीनें ऐसी हैं जहां नगर निगम चाहे तो अपने पल्ले से पैसे लगाकर यहां पर कामर्शिलय कॉम्प्लेक्स का निर्माण करवा सकता है जिन्हें मोटे किराए पर दिया जा सकता है। साथ ही पगड़ी के रूप में खासी राशि भी ले सकता है जिसे निर्माण कार्य में उपयोग किया जा सकता है। यह स्थाई आय के रूप में कमाई का जरिया बन सकता है।