न्यायिक अधिकारी, शिक्षाविद् के रूप में करें कानूनी पेशे की सेवा : न्यायमूर्ति मेनन
जबलपुर। न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन अध्यक्ष सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने कहा छात्रों को कॉपोर्रेट क्षेत्र की ओर आंख मूंदकर नहीं जाना चाहिए बल्कि एक वकील, न्यायिक अधिकारी या शिक्षाविद के रूप में कानूनी पेशे की सेवा करनी चाहिए। श्री मेनन ने यह उद्गार धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में आयोजित ओरिएंटेशन-कम-इंडक्शन सत्र को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल न्यायाधीश मप्र उच्च न्यायालय भी मंचासीन रहे। कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल ने ‘धर्म’ का अभ्यास करने पर जोर दिया और छात्रों के पांच गुणों, काक चेष्टा बको ध्यानम, श्वान निद्रा, अल्पाहारी, गृह त्याग पर प्रकाश डाला, जिनका अभ्यास सभी को अपने पूरे छात्र जीवन के दौरान करना चाहिए।
कुलपति (प्रभारी) प्रो. डॉ. शैलेश एन हेडली ने विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने पर छात्रों को बधाई दी। डीएनएलयू में छात्रों का स्वागत करते हुए प्रो. हेडली ने दर्शकों को डीएनएलयू के दृष्टिकोण और दर्शन से अवगत कराया जो छात्रों के समग्र विकास के लिए एक उत्कृष्ट पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है और उन्हें अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए विश्वविद्यालय के संसाधनों का अधिकतम लाभ उठाने की सलाह दी। गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सत्र 2023-24 के प्रॉस्पेक्टस का भी अनावरण किया गया।
ओरिएंटेशन कार्यक्रम के बाद संकाय परिचय और माता-पिता और अभिभावकों के साथ ओपन हाउस सत्र हुआ। परीक्षा नियंत्रक डॉ. गार्गी चक्रवर्ती द्वारा संचालित परीक्षा नियमों, लिंग संवेदीकरण, शैक्षणिक नियमों, जाति संवेदनशीलता और रैगिंग विरोधी नीति के लिए विस्तृत सत्र आयोजित किए गए।
हॉस्टल के नियम रुचिरा चतुवेर्दी द्वारा छात्र कल्याण के सहायक डीन और डॉ. शील भद्र यादव द्वारा लाइब्रेरी ओरिएंटेशन पर सत्र आयोजित किए गए। कार्यक्रम में करियर और जीवन कौशल के बारे में एक विस्तृत पैनल चर्चा भी शामिल थी, जिस पर मिशा सिंह आईएएस (ऑनर्स) जबलपुर उत्कर्ष सोनकर अधिवक्ता (पूर्व) न्यायिक अधिकारी ने चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन स्वाति सिंह परमार सहायक ने किया।