कांगे्रस को संजीवनी, भाजपा को सबक

कांगे्रस को संजीवनी, भाजपा को सबक

बेंगलुरु। नाचते-गाते कांग्रेसी कार्यकर्ता, मीडिया के कैमरों के सामने हंसकर बात करते नेता और जीत का जोश। कांग्रेस दफ्तर पर कई साल बाद ये नजारा दिखा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ वापसी करते हुए कांग्रेस ने भाजपा को दक्षिण भारत में उसके एकमात्र गढ़ से सत्ता से बाहर कर दिया है। भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने शनिवार को स्पष्ट बहुमत के आंकड़े से अधिक सीटें हासिल की हैं। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत न सिर्फ उसके सियासी रसूख को बढ़ाने वाली है, बल्कि 2024 के लोकसभा के चुनाव में उसकी उम्मीदों तथा विपक्षी एकजुटता की पूरी कवायद में उसकी हैसियत को और ताकत देने वाली साबित हो सकती है। माना जा रहा है कि उसकी इस जीत से इस साल के आखिर में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावना को बल मिल सकता है। वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामाशेषण को लगता है कि नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से कर्नाटक में पूरा जोर लगा दिया था, उसे तगड़ा झटका लगा है। मोदी ने चुनावी कैंपेन के आखिर में बजरंग बली के नाम पर वोट मांगना शुरू किया। कई रोड शो किए लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई। बीजेपी ने येदियुरप्पा को हटाकर बासवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया और यह भी उलटा पड़ा। भले कर्नाटक चुनाव के नतीजे से अगले साल आम चुनाव का आकलन नहीं कर सकते लेकिन यह तो तथ्य है कि कर्नाटक की जनता ने मोदी की हर अपील ठुकरा दी। बीजेपी के लिए यह सबक है कि वह प्रदेश के स्थानीय नेताओं को खारिज कर लंबे समय तक चुनाव नहीं जीत सकती है। बीजेपी सभी प्रदेश को हरियाणा और उत्तराखंड की तरह नहीं हांक सकती है।

विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस का दावा होगा मजबूत

विश्लेषक मानते हैं कि कर्नाटक में जीत के बाद अब विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने का कांग्रेस का दावा और भी मजबूत होगा। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार स्मिता गुप्ता कहती हैं, अभी तक जो चुनावी नतीजे आए थे उनमें कांग्रेस बैकफुट पर ही रही थी लेकिन कांग्रेस का विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने का दावा इस जीत से मजबूत होगा क्योंकि ये जीत एक बड़े राज्य में और बड़े अंतर से हुई है। हालांकि पहले से ही कई राज्यों में विपक्षी दल एकजुट हैं। बिहार में कांग्रेस, राजद और जदयू का महागठबंधन सत्ता में हैं। झारखंड में भी झामुमो, कांग्रेस और राजद का गठबंधन सत्ता में है। महाराष्ट्र में पिछले साल तक शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा गठबंधन सत्ता में था।

20 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी थी राहुल की भारत जोड़ो यात्रा, 15 में मिली जीत

में राहुल गांधी द्वारा निकाली गई पदयात्रा ही स्पष्ट विजेता साबित हुई है। यात्रा कर्नाटक के जिन 20 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी थी उनमें से 15 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई, जबकि जनता दल (सेक्युलर) को तीन और भारतीय जनता पार्टी ने दो सीट पर जीत दर्ज की हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इन 20 सीट में से कांग्रेस को सिर्फ पांच सीट पर ही जीत मिली थी। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का यह भी मानना है कि इस यात्रा ने कर्नाटक में कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया और कार्यकर्ताओं में नया जोश पैदा किया, जो चुनावी जीत में मददगार रही।

ध्यान भटकाने वाली राजनीति नहीं चलेगी

जनता ने संदेश दिया है कि जनता अपनी समस्याओं के समाधान की राजनीति चाहती है, जनता से जुड़े मुद्दों पर बात होनी चाहिए। हिमाचल और कर्नाटक ने यह साबित कर दिया है कि मुद्दों से ध्यान भटकाने वाली राजनीति नहीं चलेगी। प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव

कांग्रेस जीत गई है और प्रधानमंत्री हार गए हैं। बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान को पीएम और राज्य को उनका आशीर्वाद मिलने को लेकर जनमत संग्रह बना लिया था। इसे स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया है। जयराम रमेश, कांग्रेस महासचिव

क्रूर अधिनायकवादी और बहुसंख्यकवादी राजनीति परास्त हुई। जब लोग बहुलता और लोकतांत्रिक ताकतों को जिताना चाहते हैं, तो कोई केंद्रीय डिजाइन उन्हें दबा नहीं सकता: यही कहानी की सीख है, कल के लिए एक सबक है। ममता बनर्जी, टीएमसी प्रमुख, सीएम पश्चिम बंगाल

अब बीजेपी जम्मू और कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव नहीं होने देगी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा में अब इतना साहस नहीं है कि वह जम्मू और कश्मीर में जल्द चुनाव होने दे। उमर अब्दुल्ला, पूर्व सीएम, जे एंड के

भाजपा के वहां सत्ता में होने के बावजूद सरकार से जुड़े सभी शीर्ष लोग और पार्टी के वरिष्ठ नेता वहां प्रचार करने गए थे। हमें लग रहा था उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया पैसा उनके खिलाफ जाएगा और ऐसा ही हुआ है। शरद पवार, राकांपा प्रमुख

कर्नाटक का संदेश ये है कि भाजपा की नकारात्मक, सांप्रदायिक, भ्रष्टाचारी, अमीरोन्मुखी, महिला-युवा विरोधी, सामाजिक-बंटवारे, झूठे प्रचारवाली, व्यक्तिवादी राजनीति का अंतकाल शुरू हो गया है। ये नये सकारात्मक भारत का महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और वैमनस्य के खिलाफ सख़्त जनादेश है। अखिलेश यादव, सपा अध्यक्ष, पूर्व सीएम उत्तर प्रदेश

भाजपा ने चुनाव को सांप्रदायिक बनाने की पूरी कोशिश की। यहां तक कि बजरंग बली, धर्म और हिंदू-मुस्लिम विवाद का भी सहारा लिया। प्रधानमंत्री ने धार्मिक आधार पर भाषण देने की कोशिश की। लोगों ने इन मुद्दों को किनारे रखते हुए विकास को चुना। महबूबा मुफ़्ती, पीडीपी अध्यक्ष

द्रविड़ परिवार की भूमि भाजपा से मुक्त हो गई। अब हम सभी को भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान को बहाल करने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के वास्ते एकजुट होना चाहिए। जनता ने भाजपा को माकूल सबक सिखाया है। एमके स्टालिन, द्रमुक अध्यक्ष