मजदूरों के धैर्य को सलाम 400 घंटे बाद मौत को मात देकर टनल से बाहर निकले
सिलक्यारा टनल में 17 दिन से फंसे सभी 41 श्रमिकों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अस्पताल पहुुंचाया
उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल में 17 दिन से (लगभग 400 घंटे) फंसे मजदूरों को मंगलवार की शाम निकाल लिया गया। लगातार आर्इं बाधाओं और ऑगर मशीन के खराब होने के बाद अंतत: रैट माइनर्स ने टनल में खुदाई शुरू की थी। इन माइनर्स ने 12 मीटर की खुदाई को 21 घंटे में करके फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला। रेस्क्यू टीम के सदस्य हरपाल सिंह ने बताया कि शाम 7 बजकर 5 मिनट पर पहला ब्रेक थ्रू मिला था। इसके बाद पहला मजदूर शाम 7:50 बजे बाहर निकाला गया था। जानकारी के अनुसार टनल से निकले सभी मजदूर स्वस्थ्य हैं। दिन में खुदाई पूरी कर ली थी : हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग में लगे रैट माइनर्स ने मंगलवार दोपहर 1:20 बजे खुदाई पूरी कर ली थी और वे बाहर आ गए थे। वैसे इसके पहले सुबह 11 बजे के करीब मजदूरों के परिजनों को अफसरों ने खुशखबरी मिलने की जानकारी देते हुए कहा था कि उनके कपड़े और बैग तैयार रखिए। जल्द ही अच्छी खबर आने वाली है।
कौन हैं रैट होल माइनर्स
रेस्क्यू में हुटे रैट माइनर्स टीम में 6 से अधिक लोग शामिल थे। छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करने वाले को रैट होल माइनर कहा जाता है। इसमें छोटे से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से मलबे को बाहर निकाला जाता है। ऐसी माइनिंग कोयला खदानों में की जाती है।
रैट माइनर्स बोले, डर नहीं लगा, ये हमारा रोज का काम
1. परसादी लोधी (झांसी) : रैट माइनिंग का 10-12 साल का अनुभव। उसने बताया कि टनल में फंसे लोगों को निकालने का काम पहली बार किया। डर नहीं लगा, क्योंकि ये रोज का काम है।
2. राकेश राजपूत (झांसी) : ट्रेंचलैस कंपनी में पाइप पुशिंग का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि गैंती-फावड़ा से मलबा इकट्ठा किया और ट्रॉली पर चढ़ाया। फिर ट्रॉली को खींचकर बाहर निकाला।
जीवन का सबसे कठिन रेस्क्यू : ऑर्नोल्ड डिक्स
मजदूरों के रेस्क्यू मिशन में भारत सरकार की ओर से बतौर सलाहकार बुलाए गए भूमिगत निर्माण और टनल बनाने के ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने इसे उनके जीवन का सबसे कठिन बचाव कार्य बताया। उन्होंने मजदूरों के निकलने से पहले कहा था, पहाड़ ने हमें एक बात बताई है, वह है विनम्र बने रहना।
देश भर की सभी टनल का ऑडिट किया जाएगा
- सरकार ने कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को देश भर में बनी सभी 29 टनल्स की ऑडिट करने का आदेश दिया गया है।
- एक अधिकारी ने कहा कि बचाव अभियान के पूरा होने के बाद टनल के निर्माण में खामियों की पहचान के लिए व्यापक जांच करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे थे :
इनमें सबसे ज्यादा झारखंड के 15, यूपी के 8, बिहार-ओडिशा के 5-5 , प. बंगाल के 3, उत्तराखंडअस म के 2-2 और हिमाचल प्रदेश का1 मजदूर था।
वो रेस्क्यू , जिन्होंने दुनिया को चौंका दिया
रानीगंज का कोयला खदान रेस्क्यू ऑपरेशन: 13 नवंबर, 1989 में प. बंगाल के महाबीर कोलियरी, रानीगंज की कोयला खदान जलमग्न हो गई और 65 मजदूर उसमें फंस गए थे। उन्हें बचाने के लिए स्पेशल कैप्सूल बनाया गया था। 2002 क्यूक्रीक माइनर्स रेस्क्यू: अमेरिका में 24 जुलाई 2002 को पेंसिल्वेनिया में क्यूक्रीक माइनिंग इंक का हादसा हुआ था। 9 खदानकर्मियों को 77 घंटे के बाद बाहर निकालने में सफलता मिली थी। 2006 बोरवेल में फंसे प्रिंस को बाहर निकाला: 2006 में हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के हल्ढेरी गांव के एक 60 फीट गहरे बोरवेल में 5 साल का मासूम प्रिंस गिर गया था, जिसे नया बोर बनाकर बचाया गया था। 2018 में थाइलैंड की गुफा में भी 17 दिन चला बचाव कार्य: 23 जून 2018 में थाईलैंड की जूनियर एसोसिएशन फुटबॉल टीम अपने कोच के साथ थाम लुआंग गुफा में फंस गई थी। 17 दिन के ऑपरेशन के बाद गोताखोरों ने उन्हें निकाला था।
गांव में बांटे लड्डू, अब मनी दिवाली
लकवाग्रस्त श्रवण बेदिया (55) का इकलौता बेटा राजेंद्र सुरंग में फंसा हुआ था। उनके अलावा, गांव के दो अन्य लोग-सुखराम और अनिल भी सुरंग में थे। तीनों के निकलने के बाद यहां जश्न का माहौल है और ग्रामीणों ने लड्डू बांटे। अनिल के घर में उनकी मां ने पिछले दो सप्ताह से कुछ भी नहीं पकाया और परिवार अपने पड़ोसियों द्वारा दिए जाने वाले भोजन पर ही आश्रित था। बेटे की कुशलता का समाचार सुनकर सुखराम की लकवाग्रस्त मां पार्वती बहुत खुश नजर आईं।
मोदी ने की फोन पर मजदूरों से बात, धामी देंगे 1-1 लाख रुपए मुआवजा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार देर रात कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को सरकार एकएक लाख रुपए की आर्थिक सहायता देगी। सरकार उनके इलाज का खर्चा भी उठाएगी। वहीं ले. जनरल अता हसनैन ने बताया कि उन्हें एक माह का सवैतनिक अवकाश मिलेगा। बुधवार को संभवत: दो μलाइट और चिनूक हेलिकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश ले जाया जाएगा, जहां 48 से 72 घंटे ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा।
मजदूरों से मोदी ने की बात :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल में फंसे मजदूरों से रात को फोन पर बात की। इससे पहले सभी मजदूरों को 41 एंबुलेंस के माध्यम से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अस्पताल में शिμट किया गया। खाना भेजा गया : टनल में फंसे मजदूरों को खाने में दलिया, जैम ब्रेड और सत्तू के लड्डू पैकेट में दिए गए। रैट माइनिंग पर बैन है: रैट माइनर्स ने मजदूरों को टनल से निकाला, लेकिन एनजीटी ने 2014 में रैट माइनिंग पर रोक लगा दी थी।
मजदूरों को निकालने के लिए बने थे 6 प्लान
1. हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग 27 नवंबर की शाम से फिर शुरू की गई, क्योंकि 24 नंवबर को ऑगर मशीन का शॉμट टूटने से ड्रिलिंग रुक गई थी। इसके बाद रैट माइनर्स ने खुदाई की।
2. पहाड़ की चोटी से वर्टिकल ड्रिलिंग 26 नवंबर से शुरू की गई थी। टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर तक खुदाई की जानी थी।
3. 8 नवंबर से टनल के परपेंडिकुलर 180 मीटर हॉरिजन्टल ड्रिलिंग शुरू होनी थी, लेकिन सफलता मिलने से इसकी जरूरत नहीं पड़ी।
4. बड़कोट साइड से 10 मीटर हॉरिजन्टल ड्रिलिंग हो चुकी थी। वहां 4 ब्लास्ट किए गए थे। इस प्लान में 40 दिन लगने वाले थे।
5. ड्रिμट टनल का काम भी साथ-साथ जारी रहा। इसमें फ्रेम्स बनाने के लिए फ्रेब्रिकेशन भी किया गया था।
6. टनल के चारों और से काम चालू रहा। स्पेशल सेंसर से लगातार ब्राइब्रेशन चेक किया जाता रहा।
उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं। यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री