एसटीपी: 7 जल्द होंगे तैयार 4 पहले से फिर भी गायब वेस्ट वॉटर मैनेजमेंट
जबलपुर। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का उद्देश्य नर्मदा में गंदगी प्रवाहित होने से रोकना है। इसके लिए पहले से ही शहर में 4 एसटीपी उपलब्ध हैं और बाकी 7 नए एसटीपी पूर्णता के करीब हैं। इनका मुख्य पहलू निकलने वाले वेस्ट वाटर का सही मैनेजमेंट होना था जो कि लापता नजर आता है। अभी तक नगर निगम ने एक बार भी ऐसा कोई समाचार सार्वजनिक नहीं किया है जिसमें वेस्ट वाटर का कोई उपयोग सामने आया हो। नालों में बहने या सेप्टिक टैंक में उपयोग होने वाला पानी गंदगी लेकर आगे बढ़ता है। इस पर नगर निगम बरसों से काम करने का दावा कर रहा है। इस दिशा में शहर में सबसे पहले ग्वारीघाट में ऊपर की ओर एसटीपी बनाया गया था,जिसे बाद में अपडेट कर इसकी क्षमता बढ़ाई गई थी।
इसके अशुद्ध जल से यहां बने उद्यान में जरूर कुछ समय तक सिंचाई की जाती रही थी। इसके बाद कठौंदा प्लांट,खंदारी नाला ग्वारीघाट रोड तथा तिलवारा शाहनाला पर एसटीपी बरसों पहले से काम कर रहे हैं ऐसा ननि का दावा है। महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने अपनी प्राथमिकताओं में नर्मदा में मिलने वाले गंदे नालों का पानी रोकने 7 एसटीपी प्लांट का काम इसी साल के प्रारंभ में शुरू करवा दिए गए थे जो दिसंबर तक पूरे होना बताया जा रहा है। इस लिहाज से इन 7 एसटीपी के काम जल्द पूरे होना हैं।
ऐसे होती है पेयजल की व्यवस्था
नगर निगम प्रतिदिन 340एमएलडी पेयजल की आपूर्ति शहर वासियों को दोनों टाइम में करता है। 1 एमएलडी में 10 लाख लीटर पानी होता है। प्रति व्यक्ति 135 लीटर पेयजल दिया जाता है। इसका इंतजाम मुख्य रूप से नर्मदा में बने ललपुर के 2 संयंत्र से क्रमश: 90 और 45 एमएलडी, रमनगरा से120 एमएलडी, उमरिया नहर से 40 एमएलडी,रांझी जलशोधन संयंत्र में परियट से लाए जाने वाले 45 एमएलडी,गौर कटिया घाट से 25 एमएलडी सहित अन्य हाईडेंट से आपूर्ति की जाती है।
क्यों होता है पानी वेस्ट
नगर निगम द्वारा दोनों टाइम 1-1 घंटे जलप्रदाय किया जाता है। पीने,नहाने और अन्य जरूरतों के लिए पर्याप्त पानी लोगों को मिलता है। अपनी जरूरत के बाद लोग पानी का उपयोग घर,प्रांगण व वाहन आदि धोने में करते हैं। इसके अलावा कार या दोपहिया सर्विस सेंटर,गार्डन आदि में इसी पानी का उपयोग किया जाता है। जाहिर है कि आपूर्ति का करीब 40 फीसदी पानी नालियों के माध्यम से वेस्ट जाता है।
1 अरब से अधिक राशि होती है जलापूर्ति में व्यय
नगर निगम साल में 1 अरब से ज्यादा राशि जलापूर्ति में व्यय करता है। इसमें संयंत्रों की देखरेख,मेंटेनेंस,जलशोधन में लगने वाले रसायन,एलम आदि की खरीद,लीकेज सुधार,टंकियों को मेंटेनेंस आदि खर्च शामिल होते हैं। वहीं नागरिकों से इसके बदले वह जलशुल्क के रूप में बेहद मामूली राशि लेता है,इसमें भी उसे बामुश्किल 30 करोड़ रुपए तक साल भर में जलशुल्क के रूप में मिल पाते हैं।
ये होंगे फायदे
यदि नगर निगम वेस्ट वाटर मैनेजमेंट पर गंभीरता बरते तो इसके उसे कई फायदे हो सकते हैं। इनकी टैंकरों से आपूर्ति कर वह व्यवसायिक संस्थानों से राशि ले सकता है। खुद के उद्यानों में इस वेस्ट पानी से सिंचाई का काम करवा सकता है। बड़े या छोटे निर्माण कार्यों में इसी पानी का उपयोग हो सकता है जिसके बदले उसे निर्धारित राशि भी मिल सकती है।