SC ने कहा- मणिपुर में ध्वस्त हो चुकी है कानून व्यवस्था, डीजीपी हाजिर हों
पीड़ित महिलाओं की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई की तल्ख टिप्पणी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मणिपुर हिंसा की स्वतंत्र जांच का आदेश देने की गुहार वाली याचिकाओं पर कहा कि ऐसा लगता है कि मई की शुरुआत से लेकर जुलाई के अंत तक राज्य में कानून-व्यवस्था और संवैधानिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। कोर्ट ने कुछ इसी तरह की सख्त टिप्पणियों के साथ मणिपुर के डीजीपी को 7 अगस्त को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि क्या इतने महीनों में डीजीपी ने यह जानने की परवाह की? उन्होंने क्या किया है? यह उनका कर्तव्य है? पीठ ने कहा कि हम सभी प्राथमिकियों को सीबीआई को नहीं सौंप सकते। मामलों की निगरानी के लिए कोई तंत्र स्थापित करना होगा। कोर्ट पूर्व न्यायाधीशों की एक जांच समिति गठित कर सकती है।
कोर्ट ने ये जानकारी मांगी
- घटना की तारीख।
- जीरो एफआईआर दर्ज करने की तारीख।
- नियमित एफआईआर दर्ज करने की तारीख।
- वह तारीख, जिस दिन गवाहों के बयान दर्ज किए गए। साथ ही गिरμतारी की तारीख।
- किस दिन सीआरपीसी की धारा 164 के तहत कोर्ट के सामने बयान दर्ज किए गए।
संसद में हंगामा, अविश्वास प्रस्ताव पर 8 को होगी चर्चा
मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान को लेकर संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बरकरार है। मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। इस बीच, अब यह तय हो गया है कि अविश्वास प्रस्ताव पर 8,9 और 10 अगस्त को चर्चा होगी। 10 अगस्त को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में मणिपुर मामले में जवाब देंगे। इस बीच, निचले सदन में तीन विधेयक पारित हुए। वहीं, विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया।
सुप्रीम कोर्ट और एसजी के बीच सवाल-जवाब
सीजेआई: जब कानून व्यवस्था आम नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर पा रही, तो कैसी व्यवस्था है? आपकी रिपोर्ट और मशीनरी काफी आलसी और सुस्त है। स्थानीय पुलिस जांच कर रही है? क्या पुलिस के खिलाफ कुछ हुआ?
एसजी: सीबीआई आज ही वहां गई है। अभी इतनी जानकारी नहीं मिल पाई है।
सीजेआई: बाकी 6,523 एफआईआर का क्या होगा? उनकी जांच कौन करेगा? उसमें कितनी गिरμतारी हुई?
एसजी: सात। सीजेआई: 6,523 एफआईआर में सिर्फ सात गिरμतारी?
एसजी: नहीं, ये सिर्फ 11 एफआईआर से संबंधित हैं। बाकी इन एफआईआर में 252 गिरμतार हैं। 12 हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया।
सीजेआई: इनमें से कितने गंभीर अपराधों में शामिल हैं? उनकी जांच को फास्ट ट्रैक तरीकों से करना होगा। जस्टिस
पारदीवाला: सरकार अलग- अलग सारणी या सूची से बताए कि कितनी एफआईआर, रेप और हत्या, हत्या, लूट, डकैती, आगजनी, जान- माल के नुकसान से संबंधित हैं?
सीजेआई: हमें सीबीआई से जानना होगा कि क्या वो ये जांच कर सकती है?
एसजी: 11 एफआईआर की जांच सीबीआई को करने दें।
लॉ एंड ऑर्डर को तोड़ने पर अनुच्छेद 356 का उपयोग कर सुप्रीम कोर्ट चाहे, तो राष्ट्रपति शासन लगा सकता है। यदि सीबीआई और मणिपुर पुलिस जांच नहीं करेगी, तो क्या किसी अन्य देश की पुलिस करेगी। - विजय शर्मा, नेशनलिस्ट