SC ने केंद्र से पूछा- प. बंगाल और असम में अवैध प्रवासियों के नागरिकता के नियम अलग क्यों
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र से पूछा कि उसने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए के तहत असम और पश्चिम बंगाल से अलग-अलग व्यवहार को लेकर सवाल उठाते हुए पूछा कि पश्चिम बंगाल को नागरिकता प्रदान करने से क्यों बाहर रखा गया है। जबकि, वह बांग्लादेश के साथ लंबी सीमा साझा करता है। नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए असम में अवैध अप्रवासियों से संबंधित है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने माना कि अवैध आप्रवासन एक गंभीर समस्या है। उन्होंने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि केंद्र सरकार सीमा की सुरक्षा के लिए क्या कर रही है। सुनवाई शुरू होते ही केंद्र ने स्पष्ट किया कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता की जांच का नागरिकता अधिनियम में किसी अन्य संशोधन से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या पूछा कोर्ट ने
सप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने कहा- हम जानना चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल को नागरिकता देने से बाहर क्यों रखा गया। तर्क यह नहीं हो सकता कि असम में आंदोलन हुआ था। पश्चिम बंगाल में अब क्या स्थिति है?
सरकार का जवाब
सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता ने कहा व्यक्ति को देश का नागरिक तब माना जाता है जब उसके माता-पिता या दादा-दादी का जन्म अविभाजित भारत में हुआ हो। 6 ए के तहत यह श्रेणी बहुत सीमित है - यह असम में एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में लागू होती है। जिस श्रेणी से व्यक्तियों को अनुमति दी गई है वह केवल बांग्लादेश के एक बहुत ही सीमित क्षेत्र से है।