राजपूत समाज की हुंकार : चुनाव में उपेक्षा हुई तो पूरे देश में विरोध होगा

राजपूत समाज की हुंकार : चुनाव में उपेक्षा हुई तो पूरे देश में विरोध होगा

इंदौर। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक माणिकबाग रोड स्थित मथुरा महल गार्डन पर संपन्न हुई। इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा राजपूत समाज की घोर उपेक्षा पर गहन चिंतन करते हुए सभी दलों को चेतावनी दी गई है कि वे राजपूत समाज को नीचे धकेलकर आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करें, अन्यथा पूरे देश में विरोध शुरू हो जाएगा। बैठक में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने, राजपूत छात्रों को भी छात्रवृत्ति देने, मध्यप्रदेश में राजपूत कल्याण बोर्ड का गठन करने, समाज के महापुरुषों के इतिहास के साथ छेड़छाड़ को रोकने, एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग को बंद करने, नौजवानों को काम और किसानों को दाम तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने जैसी मांगें भी की गईं। एक अन्य प्रस्ताव में समाज में विवाह पूर्व शूटिंग की प्रवृत्ति को रोकने की पहल भी की गई है। राजपूत समाज के ध्वज वंदन के साथ देश के विभिन्न 28 राज्यों से आए राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा की बैठक सिरोही के पूर्व महाराजा महाराव रघुवीरसिंह सिरोही के मुख्य आतिथ्य एवं महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठा. महेन्द्रसिंह तंवर की अध्यक्षता में प्रारंभ हुई।

बैठक में बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहनसिंह, जशपुर के पूर्व सांसद महाराजा रणविजयसिंह जूदेव, युवराज यशप्रतापसिंह जूदेव, अवागढ़ के युवराज अंबरीश पाल सिंह, पूर्व महारानी महेंद्र कंवर (राजस्थान), पूर्व राजा नरेंद्रसिंह डूंगरपुर (मथुरा), नरेंद्रसिंह झाबुआ, युवराज कमलेंद्रसिंह झाबुआ विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। ग्रुप कैप्टन जेपीएस चौहान भी बैठक में शामिल हुए। प्रारंभ में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठा. विजयसिंह परिहार, राष्ट्रीय महामंत्री अनिलसिंह चंदेल, संभागीय अध्यक्ष मुकेशसिंह गौतम, जितेन्द्रसिंह सोलंकी, तुलसीराम रघुवंशी, दीपेन्द्रसिंह सोलंकी आदि ने राजपूत एकता जिंदाबाद और भारतमाता के जयघोष के बीच सभी अतिथियों का स्वागत किया।

मप्र महासभा का प्रांतीय सम्मेलन- मथुरा महल पर मप्र इकाई का प्रांतीय सम्मेलन प्रारंभ होगा। इसके पूर्व शनिवार सुबह 9 बजे देशभर से आए समाजबंधुओं ने भी महूनाका चौराहा स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा और उसके बाद राजवाड़ा पर देवी अहिल्याबाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। समाज के ध्वज वंदन के साथ 10 बजे मथुरा महल में सम्मेलन का शुभारंभ होगा। सम्मेलन में विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर विचार कर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

आंदोलन के लिए तैयार हैं हम- बैठक में लगभग सभी वक्ताओं ने राजपूत समाज की राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही घोर उपेक्षा की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि अब भी हम जागरूक नहीं हुए तो हमारी स्थिति यूज एंड थ्रो जैसी हो जाएगी। दिल्ली से आए सर्वोच्च न्यायालय के वकील एके सिंह ने कहा कि अब हमें ऐसे सांसद और विधायक चाहिए, जो हमारी पीड़ा और समस्याओं को आवाज देकर हमारा उत्साहवर्धन करें। आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए महासभा तीन बार पूरे देश में रथयात्रा निकाल चुकी है। अब भी मांग नहीं मानी गई तो और उग्र आंदोलन करने के लिए भी हम तैयार हैं। पद्मश्री रघुवीरसिंह सिरोही ने कहा कि राजपूत समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है। अब हमें एक संगठन शक्ति के साथ महासभा के कार्यों को ठा. महेंद्रसिंह तंवर के नेतृत्व में नई गति प्रदान करने की जरूरत है।

हमारी सभी मांगें जायज

राष्ट्रीय महामंत्री अनिलसिंह चंदेल ने कहा कि हर चुनाव में राजपूतों का ग्राफ गिरता जा रहा है। हमारी जितनी मांगें हैं, वे सब जायज हैं और हमसे कम जनसंख्या वाले समाजों को उक्त सभी सुविधाएं मिल रही हैं। हमारे समाज के महापुरुषों के साथ इतिहास में भी सुनियोजित ढंग से छेड़छाड़ हो रही है। एट्रोसिटी एक्ट का दुरुपयोग भी आम बात हो गई है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठा. विजयसिंह परिहार ने कहा कि अविभाजित मप्र में किसी समय में 150 विधायक राजपूत समाज के थे और अर्जुनसिंह एवं दिग्विजयसिंह राजपूत विधायकों के समर्थन से मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। इंदौर जिले में राजपूत समाज के 5 लाख से अधिक मतदाता हैं, लेकिन आज तक इंदौर लोकसभा से किसी राजपूत को प्रत्याशी नहीं बनाया गया है।

देपालपुर में भी सबसे ज्यादा राजपूत मतदाता हैं, लेकिन वहां से भी अब तक किसी राजपूत को टिकट नहीं दिया गया है। विधानसभा में भी हमारी उपेक्षा हो रही है। हम चाहते हैं कि राजपूत बाहुल्य सीटों पर समाज के उम्मीदवारों को मौका दिया जाना चाहिए। टिकट मिलेगा तो उन्हें जिताने की गारंटी भी हमारी है। जब राजपूत जागता है तो वह शेर की तरह दहाड़ता भी है और हमला भी करना जानता है। मथुरा से आए पूर्व महाराजा नरेन्द्रसिंह डूंगरपुर ने भी प्रभावी उद्बोधन दिया।