कोरोना के शिकार रहे 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में एक साल बाद तक मौत का खतरा
नई दिल्ली। कोरोना के नए वैरिएंट्स का खतरा वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। हाल ही में सामने आए दो नए वैरिएंट्स एरिस और बीए.2.68 ने वैज्ञानिकों को अलर्ट कर दिया है। कोरोना किस प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाने वाला हो सकता है, इसके लिए इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक शोध किया। हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा गया कि संक्रमण के शिकार रहे 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, जो कोमोरबिडीटी के शिकार थे या फिर मध्यम से गंभीर लक्षण रहे हैं, ऐसे लोगों में संक्रमण से ठीक होने के एक साल तक मृत्युदर अधिक देखी गई । मसलन कोरोना शरीर में ऐसी समस्याओं को विकसित करने वाला पाया गया, जो आगे गंभीर जटिलताओं, यहां तक कि मृत्यु के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है।
अस्पताल से छुट्टी के बाद रोगियों की मृत्युदर :
‘अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों के बीच डिस्चार्ज के बाद मृत्युदर’ शीर्षक से प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया है कि जिन प्रतिभागियों को कोविड-19 संक्रमण से पहले वैक्सीन की एक भी खुराक मिली थी, उनमें डिस्चार्ज के बाद मृत्युदर का जोखिम कम देखा गया। अध्ययन में कहा गया है कि प्रस्तुत विश्लेषण में केवल वे मरीज शामिल थे जो कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह जोखिमों को बढ़ा सकता है, जिसके कारण गंभीर रोग या मृत्यु का खतरा भी काफी बढ़ सकता है।
नए वैरिएंट्स के लेकर जोखिम :
कोरोना के नए वैरिएंट्स को लेकर किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि इसकी संक्रामकता दर काफी अधिक देखी जा रही है। इसके संक्रमण से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, लगातार चौथे हμते कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती संक्रमितों के मामले बढ़े हैं, जो चिंता बढ़ाने वाले हैं। वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि जिस गति से कई देशों में कोरोना के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं, ऐसे में संक्रमण से बचाव को लेकर सभी लोगों को लगातार प्रयास करते रहने की आवश्यकता है।