मदरसों से हिंदू विद्यार्थियों को निकालें और लागू कराएं शिक्षा के अधिकार का कानून

मदरसों से हिंदू विद्यार्थियों को निकालें और लागू कराएं शिक्षा के अधिकार का कानून

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर मध्यप्रदेश में भी जल्दी ही मदरसों का सर्वेक्षण शुरू कराने की तैयारी है। प्रदेश में चल रहे मदरसों की मैपिंग, शिक्षा का अधिकार लागू करने, पंजीकृत मदरसों से हिंदू बच्चों को बाहर निकाल कर उन्हें स्कूलों में भेजने और पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की समीक्षा पर जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रियंक कानूनगो ने भी इस संबंध में एक्शन प्लान भेजा है। प्रदेश में पंजीकृत, अपंजीकृत और जिन्होंने मान्यता के लिए आवेदन दिया लेकिन मान्यता नहीं मिली ऐसे तीन श्रेणी के मदरसे बड़ी संख्या में चल रहे हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष कानूनगो ने ‘पीपुल्स समाचार’ से चर्चा में बताया कि हाल ही में उनके पास प्रदेश के अधिकारियों का दल पहुंचा था। इस मुद्दे पर आयोग की तरफ से एक्शन प्लान और मशविरा भी दिया गया है। उन्होंने बताया कि मदरसों में यह देखा जाना जरूरी है कि वहां किस पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जा रही है। प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे मदरसे भी संचालित हैं जिनका सरकार के किसी विभाग अथवा मदरसा बोर्ड के पास कोई रिकार्ड ही नहीं है।

तैयार हो रही अपडेट सूची

मुख्यमंत्री चौहान ने पिछले सप्ताह कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा था कि अतिवाद और कट्टरता सिखाने वाले संस्थान बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। प्रदेश सचिवालय के अधिकारियों ने विभिन्न स्त्रोतों से पंजीकृत और अपंजीकृत मदरसों की अपडेट सूची बनाने की तैयारी की है। अभी मदरसों और उनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का सरकार के पास कोई डेटा नहीं है। मदरसों का पाठ्यक्रम भी मौजूदा समय की जरूरत के मुताबिक बच्चों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सुनिश्चित किया जाएगा।

मदरसों की ग्रांट पर सवाल

आयोग द्वारा यह भी कहा गया है कि मदरसों में दूसरे राज्यों से बच्चे लाकर रखे जाने की शिकायतें मिली हैं। इस संबंध में भोपाल के दो मदरसों की जांच के दौरान बिहार के बच्चे पाए गए थे। दतिया के मदरसे में भी हिंदू बच्चे मिले थे। आयोग ने मदरसों की ग्रांट पर भी सवाल उठाया है। मदरसों की मैपिंग पर भी जोर दिया गया है, ऐसे मदरसे जिनका कोई रिकार्ड नहीं है वहां पढ़ रहे बच्चों को सामान्य स्कूल भेजने का सुझाव भी दिया गया है।