2050 के बाद थैलेसीमिया-सिकिल सेल की रफ्तार होगी कम
जबलपुर। दिल्ली से आए देश के प्रख्यात बोनमेरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. गौरव खरया ने बताया कि वर्ष 2050 के बाद थैलेसीमिया-सिकिल सेल एनीमिया की रफ्तार कम होगी। अभी पिछले कुछ वर्षों से इससे पीड़ितों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। यह बात डॉ. खरया ने जबलपुर में अपने एक दिवसीय प्रवास के दौरान पीपुल्स समाचार से खास चर्चा में कही।
हर साल 10 हजार नए बच्चे पीड़ित
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक भारत देश में हर साल करीब 10 हजार नए बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित सामने आ रहे हैं। इसी तरह सिकिल सेल एनीमिया के मरीज भी हैं अभी लोगों में जागरूकता कम है। इस पर काम करना जरूरी है तभी इससे बचा जा सकता है। जबलपुर में समाजसेवी संस्था द्वारा चलाया जा रहा जागरूकता एवं पीड़ितों की स्क्रीनिंग का काम सराहनीय है। इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम प्रदेश के हर जिले में समयस मय पर आयोजित होना चाहिए।
जागरूकता के अभाव में बढ़ रहे मरीज : डॉ. भट्ट
बंगलौर से आए विशेषज्ञ चिकित्सक पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजिस्ट आंकोलॉजी बोनमेरो ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सुनील भट्ट ने बताया देश में थैलेसीमिया-सिकिल सेल एनीमिया रोग के प्रति आज भी लोगों में जागरूकता नहीं है। इसके चलते हर साल हजारों नए मरीज सामने आ रहे हैं। देश में बंगाल, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, गुजरात, पंजाब व मध्य प्रदेश के कुछ जिलों से थैलेसीमिया के मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं। वहीं सिकिल सेल एनीमिया से पीड़ित मरीज आदिवासी बाहुल्य जिलों से हैं इनमें छत्तीसगढ़, झारखंड व मध्यप्रदेश के कुछ जिले शामिल हैं। इस रोग से बचाव का सबसे बेहतर तरीका इसके प्रति जागरूकता ही है।