चूहा पकड़ने वाले ग्लू पेपर बोर्ड पर पंजाब में भी लगा बैन
मप्र सहित अब तक 16 राज्य कर चुके हैं सख्ती, पंजाब 17वां राज्य बना
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत कई राज्यों के बाद अब पंजाब सरकार ने भी चूहे को पकड़ने वाले ग्लू पेपर बोर्ड को बैन करने का फैसला लिया है। पंजाब में इसकी मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री और इस्तेमाल करने पर बैन लगा दिया गया है। यह एक खास तरह का बोर्ड होता है, जिस पर गोंद लगा होता है। इसे घर के उस हिस्से में रखा जाता है, जहां चूहे के फंसने का खतरा ज्यादा होता है। जैसे ही इस पर चूहा आता है चिपक जाता है। जब चूहा इसके गोंद से चिपकता है तो लोग इसे खुले स्थान पर फेंक देते हैं। चूहे को खाने की कोशिश में पक्षी इसमें चिपककर मरने लगते हैं। इसकी चलते इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस फैसले के बाद ग्लू पेपर बोर्ड को बैन करने वाला पंजाब 17वां राज्य बन गया है। चूहे की क्रूर मौत पर उठे थे सवाल :पशुओं के हितों की रक्षा करने वाले संगठन पेटा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि लोग इसका इस्तेमाल चूहों के साथ गिलहरियों और पक्षियों को भी मारने में कर रहे हैं। लंबे समय से चूहों को इस तरह से मारने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। चूहों को क्रूर मौत देने पर अलग-अलग राज्यों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से इसे बैन करने की अपील की है।
बेंगलुरु में रोज आते थे 20 से 25 मामले
पशुओं के हितों की रक्षा करने वाले संगठन पेटा के अनुसार देश के कई राज्यों में ग्लू पेपर बोर्ड का इस्तेमाल करने पर दूसरे जीवों के फंसने के मामले सामने आए। घर में ग्लू बोर्ड रखने पर चिड़िया, गिलहरी, बिल्ली के छोटे बच्चे फंस जाते थे। बेंगलुरु के फॉरेस्ट अधिकारियों के पास हर महीने ऐसे 20 से 25 मामले सामने आने के बाद इसे बैन करने की मांग उठी थी। मामला चर्चा में आने के बाद एक के बाद एक राज्य ने इसे प्रतिबंधित किया। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना था कि ऐसा करने वालों पर पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।
पेटा ने राज्य सरकारों का जताया आभार
इस पर एक्शन लेते हुए कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल, दिल्ली सरकार ने इस पर बैन लगाया। पेटा इंडिया ने सभी राज्य सरकारों का आभार जताते हुए कहा कि यह अनगिनत जानवरों को बचाने के लिए अहम कदम है, जिसकी हम सराहना करते हैं। पेटा द्वारा कई बार सोशल मीडिया पर इसको लेकर कैम्पेन चलाए गए। साथ ही इस पर बैन लगाने की मांग की।
एडब्ल्यूबीआई ने दी थी सलाह
इससे पहले महाराष्ट्र में पेटा की मांग पर एनिमल हज्बैंड्री कमिश्नरेट ने भी लेटर जारी किया था, जिसमें सभी जिलों के उप पशुपालन आयुक्तों और सदस्य सचिवों, सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन आॅफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स से जुड़ी चीजों की बिक्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया। पत्र में इस ग्लू बोर्ड के खिलाफ भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) की सलाह का हवाला दिया गया है, क्योंकि इनका उपयोग पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 का उल्लंघन करता है।