‘अविश्वास’ पर रार; संसदीय कार्य मंत्री, नेता प्रतिपक्ष आमने-सामने

‘अविश्वास’ पर रार; संसदीय कार्य मंत्री, नेता प्रतिपक्ष आमने-सामने

 भोपाल। विधानसभा में पांचवें दिन हंगामे, नारेबाजी और नोकझोंक के चलते सदन की कार्रवाई आधा घंटे भी नहीं चल पाई। बाद में स्पीकर ने 13 मार्च को सुबह 11:00 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। विपक्ष, स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूचना पर चर्चा कराने की मांग रहा था। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने हाथ से एक किताब हवा में उछाली जो लगभग 15 फीट दूर नेता प्रतिपक्ष के पास जाकर गिरी। इस पर डॉ.गोविंद सिंह ने कहा कि मुझ पर हमला करने का प्रयास किया गया। डॉ. मिश्रा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की सूचना भी दी गई। प्रश्नकाल शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी है। इस पर चर्चा कब कराएंगे। अध्यक्ष ने कहा कि उनके पास अभी कोई प्रस्ताव नहीं आया। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने पर उन्हें कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। इसी बीच, डॉ. मिश्रा ने कहा कि जीतू पटवारी का निलंबन स्पीकर ने बहुमत के आधार पर किया। प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री ने रखा था। डॉ. मिश्रा के बोलने के दौरान एक भृत्य सामने आ गया, जिसे उन्होंने ‘हट जाओ सामने से’ कहते हुए एक पुस्तक उछाली, जो नेता प्रतिपक्ष के पास गिरी। विपक्ष ने इसे मुद्दा बना लिया और डॉ. मिश्रा को निलंबित करने की मांग करने लगा।

फिर भी नहीं चल पाई सदन की कार्यवाही

प्रश्नकाल खत्म होते ही सदन की कार्यवाही जैसे ही प्रारंभ हुई, विपक्ष अपनी मांग पर अड़ गया। कई विधायक आसंदी तक पहुंच गए। वरिष्ठ विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने इसी बीच एक पुस्तक फाड़ दी। फटे हुए कुछ पन्ने भी लहरा दिए गए। अंतत: अध्यक्ष ने सदन की कार्रवाई 13 मार्च की सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इनके खिलाफ आ चुके अविश्वास प्रस्ताव

  • नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष : 15 सितम्बर 1964
  • कुंजीलाल दुबे, स्पीकर : 03 सितम्बर 1965
  • कुंजीलाल दुबे, स्पीकर : 01 अप्रैल 1966 
  • काशी प्रसाद पांडे, स्पीकर : 17 मार्च 1970
  • काशी प्रसाद पांडे, स्पीकर : 05 अप्रैल 1971 
  • काशीराम पांडे स्पीकर और रामकिशोर शुक्ला उपाध्यक्ष : 18 सितम्बर 1980 (सदन में चर्चा के बाद अस्वीकार) 
  • पं. राजेन्द्र शुक्ल, स्पीकर : 20 जून 1986 (सदस्यों ने प्रस्ताव वापस लिया) ल्ल कारण: सत्ता का दबाव और पद का दुरुपयोग प्रस्ताव नियम-प्रक्रिया के तहत

अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला 17 तक 

अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को विधानसभा सचिवालय ने शुक्रवार को सूचना में शामिल कर लिया। इस प्रस्ताव पर विधानसभा को 14 दिन के बाद यानी 17 मार्च तक निर्णय लेना होगा। विधानसभा सचिवालय इस प्रस्ताव को सदन में रखेगा। विधायक इस पर निर्णय लेंगे कि प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं।

क्या कहते हैं नियम

अविश्वास प्रस्ताव मिलने के 14 दिन में उसे स्वीकार कर सदन में मान्य-अमान्य करने के लिए पेश करना जरूरी है। प्रस्ताव को मान्य-अमान्य के लिए 10% विधायकों की सहमति जरूरी है। किसी भी सदस्य को इस चर्चा में 15 मिनट से ज्यादा का समय नहीं दिया जाता है। प्रस्ताव पर विस अध्यक्ष को भी वोटिंग का अधिकार होता है, लेकिन वो सिर्फ एक बार ही वोट कर सकते हैं।

अविश्वास प्रस्ताव देने का नियम सुबह सात बजे से दस बजे तक का है। यह प्रस्ताव 11:10 बजे आया था। प्रस्ताव को स्वीकार और अस्वीकार करने के लिए नियम प्रक्रिया है। - गिरीश गौतम, विधानसभा अध्यक्ष