जेल के भीतर भी मनाया रक्षाबंधन भाई की सलामती का बांधा रक्षासूत्र
इंदौर। आमतौर पर जेल के आदमकद भव्य गेट पर हमारी आंखों की ऊंचाई पर बनी एक जालीदार खिड़की जो बताती है कि जेल के भीतर भी चार दीवारी में कैद एक दुनिया बसी है। अपने गुनाहों की पनाह में मुख्यधारा के सामाजिक जीवन से फिलहाल ये दुनिया कटी पड़ी है। रक्षाबंधन पर जेल प्रशासन ने ऐसे ही महिला-पुरुष कैदियों को सौगात देते हुए आजाद आसमान के नीचे रक्षाबंधन त्योहार मनाने की सौगात दी है।
जेल परिसर में अपने भाइयों से मिलने आईं बहनों के चेहरे पर मुस्कान थी तो आंखों में आंसू भी थे। दोनों गले लग खूब रोये। वहीं कुछ अपने पिता तो कोई अपने पति और बेटे से मिलने आए थे। बुधवार को 1200 से अधिक कैदियों ने गुनाह से तौबा कर कलाई पर बहन से राखी बंधवाई।
बलैयां लेने के साथ छलक पड़े आंसू-राधे चौहान 14 महीने पहले हत्या के अपराध में कैद में पहुंचे हैं। सिलसिलेवार उनके दो नाती भी हत्या और धोखाधड़ी के जुर्म में इसी जेल में दाखिल हैं। हमेशा की तरह परिजन का दावा है कि दोनों नाती बेगुनाह हैं। फिलहाल मामला न्यायालय की चौखट पर है। तीनों से एक अरसे से मिला पूरा परिवार फूट फूट कर रो पड़ा। बहनें भाई की गोद में बैठीं तो वहीं बलैया भी लीं। इधर भाइयों की आंखों से भी पछतावे के आंसू फूट पड़े।
कैंटीन से मिली 150 की थाली-पूजन के लिए कैंटीन से सामग्री उपलब्ध कराई गई। इसमें बहनों की बनाई राखी के साथ कुमकुम, चावल थे। तो वहीं मुंह मीठा करने केले और 120 रु. की 250 ग्राम मिठाई भी खरीदकर भाइयों को खिलाई।
12 साल से 7 भाई जेल में
हत्या के आरोप में जेल पहुंचे सात भाइयों को रक्षा सूत्र बांधने पहुंची दिव्या शर्मा की आंखों की चमक बता रही है कि आज उसके लिए बेहद खास दिन है। बीते 12 साल से दिव्या वर्ष में एक बार अपने एक भाई और उसके 6 दोस्तों यानि मुंहबोले भाइयों को रक्षा सूत्र बांधने आती हैं। भाइयों को उसका जेल आना पसंद पर उन्हें भी उसका बेसब्री से इंतजार रहता है कि बहना आएगी और रखी बांधेगी।
जरा-सी चूक और बड़ी सजा
जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने बताया कि अधिकतर कैदी हत्या के आरोप आईपीसी 302 में निरुद्ध हैं। कई बंदी ऐसे भी हैं जो खुद बताते है कि जरा में आपा खोकर संगीन अपराध कर बैठे। अब उन्हें पछतावा है। हम जेल में उनके लिए सभी त्योहारों का आयोजन करवाते हैं। इस वर्ष भी 1200 से अधिक कैदियों के लिए राखी का आयोजन किया गया। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने आईं।