राजन ने दी चेतावनी, वैश्विक बैंकिंग सेक्टर में और उथल-पुथल की आशंका
नई दिल्ली। अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक, सिग्नेचर बैंक और स्विस बैंक क्रेडिट स्विस में गिरावट से बैंकिंग संकट को लेकर दुनियाभर में उथल-पुथल का माहौल है। इस बीच आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने वैश्विक बैंकिंग सेक्टर में और बड़े उथल-पुथल की चेतावनी दी है। स्कॉटलैंड के ग्लासगो में एक इंटरव्यू में राजन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि एक दशक के आसान पैसे और केंद्रीय बैंकों से नकदी की बाढ़ ने एक लत और वित्तीय प्रणाली के भीतर नाजुकता पैदा कर दी है, क्योंकि नीति निर्माताओं ने नीति को कड़ा कर दिया है। राजन ने इससे पहले 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की सटीक भविष्यवाणी की थी। आसानी से पैसे की उपलब्धता गलत स्ट्रक्चर बनाती है : राजन ने कहा कि लंबी अवधि के लिए बहुत आसानी से पैसे की उपलब्धता और अधिक नकदी गलत प्रोत्साहन और स्ट्रक्चर बनाती है, जो सब कुछ उलटने पर नाजुक हो जाती हैं। उनकी चेतावनी बताती है कि एसवीबी और क्रेडिट सुइस में परेशानी वित्तीय प्रणाली में गहरी समस्याओं का संकेत है।
केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति काबू करने कड़ी की नीति
राजन ने कहा कि एसवीबी और क्रेडिट सुइस में संकट के बाद बैंक शेयरों में गिरावट आई है, लेकिन केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए नीति को कड़ा कर दिया है। 2005 में आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री रघुराम राजन अब यूनिवर्सिटी आॅफ शिकागो बूथ स्कूल आॅफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं। उन्होंने 2013 से 2016 तक आरबीआई का नेतृत्व करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को संभाला है।
भारतीय बैंकिंग सिस्टम बेहतर स्थिति में
इससे पहले कोटक एएमसी के एमडी नीलेश शाह ने कहा है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली कहीं बेहतर स्थिति में है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक ने अपनी 200 अरब डॉलर की बैलेंस शीट में से 100 अरब डॉलर को एचटीएम (हेल्ड-टू-मैच्योरिटी) श्रेणी में डाला है, जबकि, भारत में इसकी अनुमति नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक ने एचटीएम श्रेणी में कैप लगा रखी है कि आप कितना डाल सकते हैं। इसके साथ ही एसवीबी में डिपॉजिट का आउटफ्लो बहुत तेजी से हुआ। भारत के मामले में डिपॉजिट बेस भौगोलिक दृष्टि से होता है, जो विभिन्न उद्योगों में वितरित किया जाता है। इसलिए इस तरह के डिपॉजिट आउटफ्लो की संभावना नहीं है।
प्रवासी भारतीयों के डॉलर से भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में प्रवासी भारतीय (एनआरआई) भी अपना अहम योगदान दे रहे हैं। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में एनआरआई की तरफ से देश में 107.5 अरब डॉलर भेजे गए। यह जानकारी आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी। उन्होंने कहा, यह किसी वर्ष में एनआरआई की तरफ से भेजी जाने वाली सबसे अधिक राशि है। चालू खाते के घाटे में रहेगा नरमी का रुख : उन्होंने कहा कि गल्फ कॉर्पोरेशन काउंसिल (जीसीसी) से जुड़े देशों की आर्थिक स्थिति बेहतर होने से आने वाले समय में भी एनआरआई की तरफ से भेजी जाने वाली राशि में मजबूती कायम रहेगी। उन्होंने कहा कि वस्तु व्यापार के घाटे में कमी और सर्विस निर्यात के बढ़ने से वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च) और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में चालू खाते के घाटे में नरमी का रुख रहेगा और इसे आसानी से समायोजित किया जा सकेगा।