आरपीएफ की कार्रवाई : आसनसोल एक्सप्रेस में हो रही थी मानव तस्करी!

आरपीएफ की कार्रवाई : आसनसोल एक्सप्रेस में हो रही थी मानव तस्करी!

जबलपुर। कटनी स्टेशन पर मंगलवार को आरपीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है। आसनसोल एक्सप्रेस से पुलिस ने 18 लड़कियों और 14 लड़कों को ट्रेन से उतारा। पुलिस को सूचना मिली थी कि किसी के बहकावे में आकर ये यात्री मुम्बई जा रहे हैं। आरपीएफ थाना प्रभारी एके दीक्षित के मुताबिक प्रारंभिक पूछताछ में केवल इतना पता चल सका है कि इन्हें मुम्बई में रहने वाली किसी महिला के द्वारा बुलाया गया है। सवाल यह उठता है कि जब ये जब झारखण्ड में रहते हैं तो फिर वेस्ट बंगाल क्यों गए थे? कोतवाली पुलिस अभी इनसे जानकारी ले रही है। इसके अलावा कुछ एनजीओ से भी सम्पर्क किया जा रहा है तो इन बच्चों को उनके घर तक छोड़कर आएंगे। बातचीत में पता चला कि उनके गांव में पहले कोई सरदारनी दीदी रहती थी जिसका नाम अनामिका हेमराम है। यह दीदी विगत कई महीनों से मुम्बई में रहती है और उसी के द्वारा सभी को काम दिलाने के लिये मुम्बई बुलाया गया था। मुम्बई पहुंचने पर उन्हें कोई व्यक्ति लेने के लिये पहुंचता मगर इसके पहले ही पुलिस पहुंच गई। पश्चिम बंगाल से मुंबई जाने वाली आसनसोल एक्सप्रेस में 18 लड़कियां और 14 लड़कों को संदेह के आधार पर कटनी स्टेशन पर उतारा गया है, जिसमें कुछ नाबालिग भी शामिल हैं। शंका जताई जा रही है कि इन लोगों को मानव तस्कर गिरोह मुंबई ले जा रहा था। कटनी आरपीएफ सभी लड़के-लड़कियों से पूछताछ कर मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। जानकारी के मुताबिक कटनी आरपीएफ थाना प्रभारी एके दीक्षित को मुखबिर ने सूचना दी कि नाबालिग लड़के-लड़कियों को झारखंड से काम करने के लिए मुंबई ले जाया जा रहा है, और उन्हें इस बात की जरा भी भनक नहीं है कि उनसे क्या काम कराया जाना है और उसके एवज में कितना भुगतान किया जाना है। सूचना मिलने के बाद आसनसोल एक्सप्रेस जैसे ही प्लेटफॉर्म पर पहुंची, आरपीएफ ने सभी बोगियों की तलाशी लेना शुरु कर दिया, इसी दौरान एक बोगी में लड़के-लड़की एक साथ डरे और सहमे ढंग से बैठे दिखे। जिनसे पूछताछ करने पर पता चला कि वे सभी काम के लिए मुंबई जा रहे हैं। इसके बाद आरपीएफ ने समझाइश देकर उन्हें नीचे उतारा और परिजनों से भी संपर्क किया ताकि सच्चाई उजागर हो सके।

एनजीओ करेगा मदद

पूछताछ के दौरान लड़के-लड़की डरें न इसलिए एक एनजीओ का सहारा भी लिया गया है। एनजीओ के सदस्य उनके अंदर भय कम करने का काम तो कर रही ही रहे हैं साथ ही जब पूछताछ खत्म हो जाएगी तो यहीं एनजीओ उन बच्चों को घर तक पहुंचाने का काम भी करेगी।

सरदारनी दीदी ने बुलाया

प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि ट्रेन से मुंबई जाने वाले लड़के- लड़की जिस गांव में रहते हैं, उसी गांव की एक महिला मुंबई में रहती है, जिसे सभी सरदारनी दीदी के नाम से जानते हैं। उन्हीं का फोन आया था कि मुंबई में अच्छा-खास काम और रुपए मिलेंगे। जरुरत होने के कारण लड़के-लड़की तैयार हो गए और दीदी के निर्देश पर जिस ट्रेन पर बैठने के लिए बोला गया, उसमें वे सवार हो गया। हलाकि सरदारनी दीदी ने मुंबई में कहां जाना यह नहीं बताया था, उन्हें स्टेशन पर ही इंतजार करने कहा गया गया।

झारखंड से हुए थे सवार

सभी यात्री झारखंड के रहने वाले है ंऔर वह वेस्ट बंगाल से ट्रेन में सवार हुए है। यह पता चलते ही आरपीएफ के साथ जीआरपीएफ और सतना जिला पुलिस का बल कटनी रेलवे स्टेशन पहुंच गया। पुलिस की भारी मौजूदगी में पूरी ट्रेन की तलाशी ली गयी। पुलिस टीम को एक डिब्बे में 42 लड़के और लड़़कियां एक बोगी के अंदर बैठे नजर आये तो संदेह के आधार पर जानकारी लेते हुये उन्हें ट्रेन से नीचे उतार लिया गया है। ये सभी बच्चे वेस्ट बंगाल से ट्रेन में सवार हुए थे। सवाल यह उठता है कि जब ये जब झारखण्ड में रहते हैं तो फिर वेस्ट बंगाल क्यों गए थे?