घरेलू बैंकों के कारोबारी मॉडल पर है रिजर्व बैंक की नजर : शक्तिकांत दास

घरेलू बैंकों के कारोबारी मॉडल पर है रिजर्व बैंक की नजर : शक्तिकांत दास

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक घरेलू ऋणदाताओं के ‘कारोबार के मॉडल’ पर नजदीकी नजर रखे हुए है क्योंकि खराब रणनीतियों से एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। दास ने अमेरिका में हाल की घटनाओं के लिए खराब कारोबारी मॉडल को भी एक वजह बताते हुए कहा कि भारत की बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है और वैश्विक घटनाक्रमों का इस पर खास प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है। उनका यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के कुछ सप्ताह बाद आया है। इस घटनाक्रम से अमेरिका और यूरोप के वित्तीय क्षेत्र में संकट की स्थिति पैदा हो गई है। दास ने कहा कि अमेरिका के हाल के घटनाक्रमों से यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या व्यक्तिगत बैंकों का कारोबारी मॉडल सही था। रिजर्व बैंक प्रवर्तित कॉलेज आॅफ सुपरवाइजर्स द्वारा वित्तीय क्षेत्र की मजबूती पर एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई और कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता का इसपर प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा, रिजर्व बैंक ने अब बैंकों के कारोबारी मॉडल पर नजदीकी निगाह रखनी शुरू की है। इनमें किसी तरह की खामी से 

ग्रीन कार्ड के लिए 7 प्र. की सीमा हटाने का

 वाशिंगटन। सिलिकॉन वैली के भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख नेता और उद्यमी अजय जैन भूटोरिया ने अमेरिकी सांसदों से ग्रीन कार्ड के लिए देशों के आधार पर मौजूदा सात प्रतिशत की सीमा को हटाने का अनुरोध किया है। ग्रीन कार्ड या स्थायी निवास दर्जा अमेरिका में आव्रजकों को जारी किया जाता है। जिस व्यक्ति के पास ग्रीन कार्ड होता है वह देश में स्थायी रूप से रह सकता है। भूटोरिया ने बुधवार को राजधानी में आयोजित अमेरिका-भारत शिखर सम्मेलन' में कहा कि यदि एच-1 वीजा पर सीमा नहीं है, तो ग्रीन कार्ड के लिए यह क्यों है। भूटोरिया ने यहां आयोजित आयोजित शिखर सम्मेलन में कहा कि जब हमारे पास अपनी कंपनियों, कारोबार और अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए एच-1 वीजा देने की देश की सीमा नहीं है, तो ग्रीन्

बढ़ती अर्थव्यवस्था अमेरिकी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण

वाशिंगटन। भारत की आर्थिक वृद्धि अमेरिकी कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करने के अलावा द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को आगे बढ़ाने में मददगार है। अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने यह बात कही है। केशप ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के ‘बिजनेस-टू-बिजनेस’ संबंध अमेरिका के मध्यम वर्ग के लिए सीधे नौकरियां पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल अमेरिका-भारत का द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर को पार कर गया है। उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, इसकी अर्थव्यवस्था अमेरिकी कंपनियों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण होती जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय आबादी के शहरीकरण और इसके वैश्विक मध्यम वर्ग में शामिल होने के