पौने 4 अरब से बने पक्के नालों को तोड़ा जाएगा, कौन होगा जवाबदार
जबलपुर। बारिश के मौसम में इस बार जिस तरह से जलप्लावन हुआ उसे लेकर नगर सत्ता पर आरोप लगे हैं। महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने साफ तौर पर जलप्लावन की वजह तत्कालीन नगर सत्ता पर लगाते हुए नालों के पक्कीकरण में इन्हें संकरा किया जाना बताया है। 100-125 फीट चौड़े नालों को 12 वर्गफीट के आकार में बना दिया गया है जो कि जलप्लावन की मुख्य वजह बन गए हैं। गत दिवस महापौर ने कहा कि हम इन नालों को तोड़ने का बड़ा निर्णय ले सकते हैं।
अब सवाल यह उठ रहा है कि पौने 4 अरब रुपयों की भारी- भरकम लागत से बनाए हुए इन नालों को यदि तोड़ा जाता है तो इस राशि की भरपाई कैसे होगी और इतना बड़ा नुकसान का जिम्मेदार किसे माना जाएगा। हालाकि इस बारे में अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है लेकिन अगर महापौर की बात सही मानी जाए तो उस स्थिति में नालों को तोड़ने और फिर बनाने में जो रकम खर्च होगी उसकी व्यवस्था नगर निगम कहां से और कैसे करेगा ये बड़ा सवाल भी सामने है।
नाले पूरे टूटेंगे या संकरे हिस्से
अभी इस बात पर कुछ भी नहीं बताया गया है कि इन नालों को पूरी तरह से तोड़ा जाएगा या फिर इसके संकरे हिस्सों को। नाले यदि तोड़े जाते हैं तो जिन जगहों पर एनएमटी बनाए गए हैं उनका क्या होगा। इसमें हो ये सकता है कि जिन जगहों पर नालों की चौड़ाई अत्यंत कम की गई है उन्हें तोड़कर वहां चौड़ाई बढ़ाकर इन्हें सही कर दिया जाए।
अनियमितता दर अनियमितता
एलएनटी कंपनी ने एक दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा पेटी कान्ट्रेक्टरों को काम दे दिया जो अनुबंध के विपरीत था। इतना ही नहीं इस कंपनी को बाद में ब्लेक लिस्टेड भी किया गया। इसके भुगतान से कुछ कटौती भी की गई। नालों की चौड़ाई संकरी करने पर तत्कालीन विपक्ष ने नेता प्रतिपक्ष विनय सक्सेना जो कि वर्तमान में उत्तर-मध्य क्षेत्र के विधायक हैं सदन में इस योजना का भारी विरोध भी किया, जिसे तत्कालीन महापौर प्रभात साहू व सत्ता पक्ष ने दरकिनार कर दिया। एक जैसी चौड़ाई न रखकर कहीं 12 फीट तो कहीं 20 या कहीं 25 फीट चौड़ाई रखी गई।
2010 से 2013 के बीच हुआ था निर्माण
2010 में तत्कालीन केन्द्र सरकार ने जवाहरलाल नेहरू अर्बन मिशन यानि जेएनएनयूआरएम के तहत शहर को 1629 करोड़ की भारी -भरकम राशि मिली थी। इसमें से जल-मल निकासी के तहत शहर के 5 मुख्य नाले ओमती, मोती, खंदारी, उर्दना और शाहनाला सहित इनसे जुड़ने वाले 125 उप नालों को पक्का कर लेंटर डालने का प्रोजेक्ट बनाया गया जो कि 374 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट था। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया में प्रख्यात एजेंसी एलएनटी को काम दिया गया। कार्य की अवधि 2 वर्ष रखी गई। 2013 तक काम चला और इसके बाद आधे-अधूरे काम कर राशि भी खत्म हो गई और काम भी 85 प्रतिशत ही हुआ।
जब से ये नाले बने हैं शहर में जलप्लावन बढ़ गया है। मूल वजह यह है कि जो नाले सौ से सवा सौ फीट चौड़े थे उन्हें 12 फीट के बॉक्स में बना दिया गया है यही जलप्लावन की मूल वजह हैं। आने वाले समय में हम इन्हें तोड़ने का बड़ा निर्णय ले सकते हैं। -जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर