गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार पर दबाव बनाए जनता
इंदौर। लालबाग में आयोजित वेद लक्षणा गोश्रद्धा महोत्सव में रविवार को गो भक्तों का सैलाब उमड़ा और संपूर्ण परिसर गोमातामय हो गया। वेद लक्षणा गोश्रद्धा महोत्सव में गोकृपा कथा में परम पूज्य गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने अपने मुखारविंद से कथा का अमृतपान कराते हुए कहा कि आज लाखों गायों का कत्ल हो रहा है और हम मूकदर्शक बनकर देख रहे हैं। यह आजादी का अमृतकाल चल रहा है और हमको अमृत देने वाली गाय माता का कत्ल इस अमृत वर्ष में भी नहीं रुक पा रहा है तो यह हमारे लिए शर्म की बात है। स्वामीजी ने कहा कि गोहत्या बंद हो यह सभी का लक्ष्य है और समस्त सनातन धर्मप्रेमियों को इसके लिए सरकारों को कहकर कानून बनवाने की पहल करनी चाहिए तभी गोवंश बच सकेगा। अभी भी हम गोहत्या के कलंक से मुक्ति नहीं पा सके हैं। एक गोभक्त महिला ने मांग की कि इंदौर के बगीचों में गोमाता के लिए एक अलग कक्ष की व्यवस्था करने की पहल होनी चाहिए। स्वामीजी ने इस सुझाव का स्वागत किया और कहा कि इंदौर के नागरिक खुद ही अपने क्षेत्र के बगीचों में यह व्यवस्था कर सकते हैं।
इससे गाय माता की सेवा भी होगी, रक्षा भी होगी और माता को नियमित रूप से रोटी भी मिल सकेगी। इंदौर सहित संपूर्ण भारत में युवा पीढ़ी में डॉगी के प्रति बढ़ते मोह और गायों के प्रति तिरस्कार की भावना का प्रश्न उठाया गया। इस पर स्वामीजी ने कहा कि गोमाता की सेवा के लिए महानगरों में गायों को रखना कठिन होता जा रहा है इसके लिए खुद ही लोगों को पहल करना होगी और अपने बच्चों में गाय माता के प्रति स्नेह भाव जगाना होगा। परिवार में जन्मदिन शादी और अन्य शुभ प्रसंग पर परिजन और बच्चों को गोशाला ले जाएं और वहां पर अपने शुभ प्रसंग मनाएं। इससे बच्चों में गायों के प्रति प्रेम भाव जागेगा और डॉगी के प्रति जो प्रेम वे आज दिखा रहे हैं, वह भी कम होगा।
पितृपक्ष में गोमाता की सेवा और अर्चना का विशेष महत्व
स्वामीजी ने कहा कि पितृपक्ष में गोमाता की सेवा और अर्चना का विशेष महत्व है। गोमाता को गो ग्रास समर्पण करें और अपने पितरों को तृप्त करें। गोमाता के दूध की खीर का भोग लगे और गौ माता को भी खिलाएं। गो माता हमारी है और हम गोमाता के, यह भाव मन में आने पर गोमाता हमारे हृदय में स्थापित होगी और वहीं गोमाता की सच्ची सेवा और पूजा होगी।