चीन की अर्थव्यवस्था पर दबाव, आयात और निर्यात में गिरावट
अगस्त में एक्सपोर्ट 14.5%, जबकि इंपोर्ट 12.4 प्रतिशत कम रहा
बीजिंग। चीन के निर्यात और आयात दोनों में अगस्त में सालाना आधार पर गिरावट आई है। यह कमजोर वैश्विक मांग को दर्शाता है, जिससे पहले से ही धीमी पड़ी उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। गुरुवार को जारी सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में निर्यात सालाना आधार पर 8.8 फीसद घटकर 284.87 अरब डॉलर रहा। आयात एक साल पहले की तुलना में 7.3 फीसदी घटकर 216.51 अरब डॉलर रहा। चीन का व्यापार अधिशेष 68.36 अरब डॉलर रहा, जो जुलाई में यह 80.6 अरब डॉलर था। अच्छे नहीं हैं हालात : कैपिटल इकोनॉमिक्स के जूलियन इवांस-प्रिचर्ड ने रिपोर्ट में कहा कि भविष्य की बात करते तो लगता है कि साल के अंत तक निर्यात के बेहतर होने से पहले इसमें गिरावट आएगी। चीन के व्यापार में पिछले दो वर्षों से धीरे-धीरे गिरावट आई है, हालांकि अगस्त में निर्यात तथा आयात में गिरावट जुलाई की तुलना में कम थी। अगस्त में निर्यात सालाना आधार पर 14.5 फीसदी, जबकि आयात 12.4 फीसदी कम रहा।
रूस से चीन का आयात 13.3 फीसदी बढ़ा
सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में निर्यात एक साल पहले की तुलना में 17.4 फीसदी गिरकर 45 अरब डॉलर हो गया, जबकि अमेरिकी वस्तुओं का आयात 4.9 फीसदी घटकर करीब 12 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। रूस से चीन का आयात (ज्यादातर तेल और गैस) एक साल पहले से 13.3 फीसदी बढ़कर 11.52 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
अमेरिका बढ़ रहा है आगे
चीन ने सन 1960 के दशक के बाद से पहली बार जनसंख्या में गिरावट दर्ज की। इससे उत्पादकता कमजोर होने की चिंता बढ़ गई है। अमेरिका के साथ तनाव ने भी स्थिति को प्रभावित किया है। अमेरिका कुछ महीनों पहले कई अर्थशास्त्रियों द्वारा अनुमानित से बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है। मजबूत श्रम बाजार, मजबूत उपभोक्ता खर्च और मंदी के दौर में मुद्रास्फीति ने अर्थव्यवस्था को मंदी से बचने की क्षमता में विश्वास दिलाया है। गोल्डमैन सैक्स समूह अब अमेरिका के मंदी में जाने की 15% संभावना देखता है, जो पहले से 20% थी।
भारतीय कृषि-रसायन उद्योग में शानदार तेजी
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि भारत के कृषि-रसायन उद्योग में चीन से प्रतिस्पर्धा के बावजूद मौजूदा 9% से अधिक बढ़ने की क्षमताएं हैं। चंद ने कहा कि कई पश्चिमी देश कृषि रसायनों के स्थान पर अब जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और भारतीय उद्योग को इस पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने एग्रो केम फेडरेशन आॅफ इंडिया से कृषि रसायनों के व्यापार को आसान बनाने पर एक प्रस्ताव लाने का आग्रह किया। नीति आयोग के सदस्य चंद ने कहा कि कृषि-रसायन उद्योग ने 9% की वृद्धि हासिल की है। इस वृद्धि दर का अधिकतर हिस्सा कोरोना महामारी के वर्षों के दौरान हासिल हुआ, जब उत्पादन गतिविधियां गंभीर प्रभावित थीं। चंद ने कहा कि आर्थिक और उत्पादन व्यवधानों के बावजूद घरेलू कृषि रसायन उद्योग ने 2017-18 और 2022-23 के बीच प्रभावशाली वृद्धि की। उन्होंने कहा कि हम इस वृद्धि दर को आसानी से 9% से अधिक भी बढ़ा सकते हैं।