जेलों को सुधारगृह बनाने की तैयारी

जेलों को सुधारगृह बनाने की तैयारी

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जेल प्रबंधन में सुधार और कैदियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से औपनिवेशिक काल के कारागार अधिनियम 1894 की समीक्षा कर आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 को अंतिम रूप दिया है जो राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि यह नया अधिनियम व्यापक है और इसमें पुराने अधिनियम की कमियों को दूर किया गया है। मंत्रालय ने कैदी अधिनियम 1900 और कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम 1950 की भी समीक्षा की है और इनके प्रावधानों को नए अधिनियम में शामिल किया गया है। नए अधिनियम में महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा इससे जेल प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान किया जाएगा। नए अधिनियम में कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और समाज में उनके पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मंत्रालय के वक्तव्य में कहा गया है कि मौजूदा कारागार अधिनियम 1894 आजादी से पहले का है और लगभग 130 वर्ष पुराना है। यह मुख्य रूप से अपराधियों को हिरासत में रखने और जेलों में अनुशासन तथा व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है और इसमें कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान नहीं है।

विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर बनाया गया प्रारूप

मंत्रालय ने कारागार अधिनियम 1894 में संशोधन की की जिम्मेदारी पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो को सौंपी थी और ब्यूरो ने राज्य कारागार प्रशासन तथा सुधार विशेषज्ञों से विचार विमर्श के बाद इसका प्रारूप तैयार किया है। अधिनियम में जेल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पैरोल, फल प्रदान करने, अच्छे आचरण को बढ़ावा देने के लिए कैदियों की सजा माफ करने, महिला एवं ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान, कैदियों की शारीरिक और मानसिक कुशलता तथा कैदियों के सुधार और पुनर्वास, उच्च सुरक्षा जेल, ओपन जेल (ओपन और सेमी ओपन) की स्थापना एवं प्रबंधन, खूंखार और आदतन अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों से समाज को बचाने, कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने, कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास तथा उन्हें समाज से दोबारा जोड़ने पर बल देने को नए प्रावधानों में शामिल किया गया है।

राज्य सरकारों को संशोधन करने की छूट

राज्य सरकारें नए अधिनियम में संशोधन करके इसे लागू कर सकती हैं और मौजूदा तीन अधिनियमों को निरस्त कर सकती हैं। नए मॉडल कारागार अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में सुरक्षा मूल्यांकन और कैदियों को अलग- अलग रखने, वैयक्तिगत सजा योजना बनाने, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोर्ड, बंदियों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन, कारागार प्रशासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग, अदालतों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, जेलों में वैज्ञानिक और तकनीकी पहल, जेलों में प्रतिबंधित वस्तुओं जैसे मोबाइल फोन का प्रयोग करने वाले बंदियों एवं जेल कर्मचारियों के लिए दण्ड का प्रावधान है।