कोविड की तैयारी शुरू : जेएएच में बना 30 बेड का आइसोलेशन वार्ड, सैंपलिंग होगी शुरू
ग्वालियर कोरोना के नए वैरिएंट जेएन वन आईएलआई के मप्र में मरीज मिलने के कारण स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग की टेंशन बढ़ गई है। आला अधिकारियों से मिले निर्देश के बाद अब ग्वालियर जिले में पहली एवं दूसरी लहर की तरह कोविड के प्रकोप से बचने के लिए से तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। जीआरएमसी डीन डॉ. निगम ने बुधवार को ओल्ड मेडिसिन वार्ड में 30 बेड का कोविड आइसोलेशन वार्ड तैयार कराया है। इस वार्ड में ऑक्सीजन के साथ वेंटीलेटर की सुविधा भी रहेगी। हालांकि इससे पहले टीबी वार्ड इसके लिए तय किया गया था, लेकिन यहां पर ऑक्सीजन की लाइन नहीं होने के कारण जेएएच प्रबंधन ने इसका स्थान बदला है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग भी तैयार नजर आ रहा है।
एनएचएम द्वारा एक दिन पहले जारी किए दिशा निर्देशों के बाद सीएमएचओ ने अलर्ट जारी किया है, इसके साथ ही सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता से लेकर दवाइयों का स्टॉक रहने के निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही भोपाल से पत्र लिखकर संदिग्ध मरीजों की सैपलिंग शुरू करने को लेकर मार्गदर्शन मांगा है। हालांकि डॉक्टरों की मानें तो यह वैरियंट ओमिक्रॉन से मिलता जुलता है, इसमें कैजुअल्टी कम हुई थी, लेकिन इसके बाद भी शहरवासियों को सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि कोविड के नए वैरिएंट के लक्षण वर्तमान मौसम यानि की सर्दी-जुकाम व बुखार हैं।
पॉजिटिव मरीजों की होगी जीनोम सिक्वेंसिंग
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी ग्वालियर में कोई भी संदिग्ध कोविड संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है। अगर कोई मरीज इसकी चपेट में आता है तो पहली व दूसरी लहर के समान ही मरीज की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाएगी। वर्तमान हालत को देखते हुए प्रतीत हो रहा है कि इसको लेकर लापरवाही खतरनाक हो सकती है और अगर सावधानी नहीं बरती तो शहरवासियों को पहली व दूसरी लहर जैसे हालातों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि यह प्रदेश में दस्तक दे चुका हैं।
जेएएच में ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति
आला अधिकारियों द्वारा दवाइयों के साथ सबसे अधिक ऑक्सीजन की उपलब्धता पर फोकस किया जा रहा है। अंचल के अस्पतालों में ऑक्सीजन की व्यवस्था की बात की जाए तो हजार बिस्तर में दो प्लांट 1000-1000 एलपीएम कैपिसिटी के हैं, दोनों ही चालू हैं। इसी प्रकार सुपर स्पेशलिटी एलएमओ और सिलेंडर के माध्यम से सप्लाई होती है। इसी प्रकार न्यूरोलॉजी में लगे 290 एलपीएम प्लांट, ट्रॉमा सेंटर का 960 एलपीएम प्लांट प्रबंधन के मुताबिक चालू है। हालांकि कार्डियोलॉजी सनफार्मा कंपनी द्वारा लगाया गया था जो कि लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है। इसके साथ ही प्रबंधन पर्याप्त पीपीई किट, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एवं मास्क होने का दावा कर रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की बात की जाए तो सिविल अस्पताल डबरा में करीब दो साल बीत जाने के बाद ऑक्सीजन प्लांट प्रारंभ नहीं हो पाया है।
हजीरा में अल्ट्रासाउंड जांच की चार दिन की वेटिंग
स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जैसी महत्वपूर्ण जांच के लिए मरीज परेशान हो रहे हैं। जिला अस्पताल मुरार में 12 दिनों से अल्ट्रासाउंड नहीं हुए, उधर दूसरी ओर सिविल अस्पताल में भी जांच के लिए आने वाले मरीजों को चार से पांच दिनों की वेटिंग दी जा रही है।