प्रदेश में पहली बार हवा में तैयार होंगे आलू के बीज
आरवीएसकेवीवी ग्वालियर को मिला है 9 करोड़ का प्रोजेक्ट
ग्वालियर। कृषि वैज्ञानिक फसलों के ऐसे बीज तैयार करने लगे हुए हैं, जिससे फसल में कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन हो, जिससे किसानों की आय दोगुनी हो सके। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि के ऐरोपोनिक टेक्निक से हवा में आलू के छोटे बीज तैयार करने के प्रोजेक्ट को प्रदेश सरकार ने हरी झंडी दे दी है और प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए 9 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। सब कुछ ठीक रहा तो अगले एक साल में प्रदेश के किसानों को आलू की फसल करने के लिए नए तरह के बीज मिल सकेंगे, जो बुआई में कम लगेंगे और उत्पादन अधिक होगा। कृषि विवि के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के इंचार्ज वैज्ञानिक डॉ. मनोज त्रिपाठी बताया कि हरियाणा व अन्य राज्यों में किसान ऐरोपोनिक टेक्निक से हवा में आलू तैयार कर रहे हैं, जिससे अधिक मुनाफा हो रहा है। इसे ध्यान में रखकर ही ऐरोपोनिक टेक्निक से आलू के बीज तैयार करने का ख्याल आया और विवि के कुलपति प्रो. अरंिवंद कुमार शुक्ला से चर्चा के बाद प्रोजेक्ट प्रदेश सरकार को भेजा गया। सरकार ने प्रोजेक्ट मंजूर कर लिया और इसके लिए 9 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है और अगले एक साल में किसानों को बेर के आकार के आलू के नए बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। आपने बताया कि आलू के छोटे-छोटे कट करके ग्लास के जार में रखा जाता है। एक-डेढ़ महीने के अंदर जड़ और पत्ते निकलने के बाद इन्हें जार से निकालकर थर्माकोल की सीट में छेद करके इस तरह लगाया जाता है कि जड़ नीचे और पत्ते ऊपर रहें। इन्हें लगाने के बाद हर दिन पीएच लेवल और ईसी मीटर चेक किया जाता है। साथ ही स्प्रे के जरिए पानी और खाद भी दिया जाता है। कुछ समय बाद आलू तैयार होने की प्रोसेस शुरू हो जाती है। बीज तैयार होने के बाद इन्हें कुछ समय के लिए 4 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है। इसके बाद बीज का उपयोग फसल के लिए किया जा सकता है।
अभी बुआई में ज्यादा बीज लगते हैं, लागत ज्यादा हो जाती है
विवि के डीआरएस डॉ. संजय शर्मा ने बताया कि अभी आलू की खेती की बुआई में आलू का साइज बड़ा होने के कारण बीज ज्यादा लगते हैं, इससे फसल की लागत बढ़ जाती है, लेकिन ऐरोपोनिक टेक्निक से तैयार बेर के आकार के आलू के बीज बुआई में कम लगेंगे और उत्पादन अच्छा होगा।
ऐरोपोनिक टेक्निक से आलू के नए तरह के बीज तैयार करने का प्रोजेक्ट मिला है। बुआई में बीज कम लगेंगे और उत्पादन अधिक होगा। इससे किसानों की आय दोगुनी होगी। अच्छी बात यह है कि इस तकनीक से जो बीज तैयार होंगे, उनमें किसी प्रकार का रोग नहीं होगा। डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला, कुलपति कृषि विवि ग्वा.