प्रदूषण: जबलपुर में हालात बेहद चिंताजनक एक्यूआई मढ़ाताल में 307 पर

प्रदूषण: जबलपुर में हालात बेहद चिंताजनक एक्यूआई मढ़ाताल में 307 पर

जबलपुर। जबलपुर में प्रदूषण के हाल बेहद चिंताजनक हैं। सरकारी स्तर पर केवल बातें की जा रही हैं मगर निदान खोजने के प्रति कोई गंभीर नहीं है। केन्द्र सरकार के द्वारा एक्यूआई सुधारने नगर निगम के द्वारा एक अरब से ज्यादा राशि दी जा चुकी है और ये खर्च भी कर दी गई है मगर हालात जस के तस हैं। आलम यह है कि बुधवार को शहर के मध्य मढ़ाताल में एक्यूआई 307 पर था जो कि बेहद चिंताजनक व स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। पिछले 3 सालों में नगर निगम के माध्यम से केन्द्र सरकार ने वायु प्रदूषण में सुधार करने के लिए 3 किश्तों में एक अरब से ज्यादा राशि दी है।इस राशि को बजाय योजनाबद्ध तरीके से खर्च करने के नगर निगम ने आनन-फानन में खर्च कर दिया जिसमें कई जगह तो पेबर ब्लॉक के ऊपर दोबारा पेबर ब्लॉक लगा दिए गए। फ्लाई ओवर रूट जहां धूल उड़ती थी वहां पर पानी का छिड़काव,पौधरोपण जैसे काम किए गए मगर ये कहां-कितने हुए यह पता नहीं चल पाता। आज तक नगर निगम ने इस मद में हुए कामों को सार्वजनिक नहीं किया जबकि ऐसा शहर हित में किया जाना चाहिए था। पर्यावरण विदों से सलाह मशवरा भी नहीं किया गया।

भोपाल में प्रदूषण से बढ़ने लगे सांस के मरीज

प्रदूषण बढ़ने का सीधा असर लोगों के फेफड़ों पर हो रहा है। अस्पतालों में सांस की ओपीडी में अब दमा, खासी और सांस से जुड़ी अन्य बीमारियों के मरीज बढ़ने लगे हैं। जेपी व हमीदिया हॉस्पिटल में इन दिनों ओपीडी में 450 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। सलाह: डॉक्टरों की सलाह है कि मास्क का प्रयोग करना चाहिए और जरूरत पर ही घर से निकलें। यह आंकड़ा सामान्य दिनों से दो गुना ज्यादा है। कलेक्टर आशीष सिंह ने एक्यूआई सुधारने के लिए निजी और प्राइवेट चार पहिया वाहनों की पीयूसी जांच के लिए 15 दिन की मोहलत दी है। फिर चालानी कार्रवाई होगी।

प्रदूषण की बड़ी वजह

  • निर्माण कार्यों के दौरान उड़ने वाली धूल है। भोपाल में मेट्रो, कोलार 6 लेन समेत कई निर्माण चल रहे हैं। सड़कें भी जर्जर हैं, जिनसे धूल उड़ती रहती है।
  • 15 साल से ज्यादा पुराने व कंडम वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। 
  • खुले में कचरा जलाने का सिलसिला जारी है।

वायु प्रदूषण से इन समस्याओं का खतरा

  • आंख, कान, गला व त्वचा में जलन 
  • खराश, खांसी, सांस में कठिनाई 
  • छाती में दबाव और दर्द होना 
  • सिर दर्द, चक्कर आना 
  • हाथ-पैरों में शिथिलता 
  • लोअर रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन, आस्थमा, ब्रोनकाइटिस, सीओपीडी, सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक जैसी समस्याएं

दीपावली के बाद से प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। शहर में चल रहे फ्लाई ओवर सहित अन्य बड़े निर्माण कार्यों के चलते भी प्रदूषण बढ़ा है। हालात सुधारने के लिए 3 बार पानी का छिड़काव कराने निर्देश दिए हैं। नगर निगम भी एक्यूआई में सुधार के लिए विभिन्न प्रयास कर रहा है। आलोक जैन, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,जबलपुर