दिवाली पर आतिशबाजी से भोपाल में प्रदूषण का स्तर खतरनाक, 10 घंटे में आठ गुना बढ़ा
मध्य प्रदेश में सबसे प्रदूषित शहर सिंगरौली और सबसे कम कटनी रहा
भोपाल। दिवाली की रात जमकर हुई आतिशबाजी और पटाखों के धुएं से शहर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। रविवार शाम 6.30 बजे से पहले शहर में पीएम 10 का स्तर 120 था, जो चार घंटे में चार गुना बढ़कर 766 तक पहुंच गया। यही नहीं, सोमवार सुबह 4.30 बजे हवा में पीएम 10 की वैल्यू बढ़कर 846 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गई। मालूम हो कि हवा में पीएम 10 की सामान्य वैल्यू 100 होती है। प्रदूषण का यह स्तर पिछली दीपावली की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा था। रविवार रात को भोपाल में एयर क्वालिटी इंडेक्स 355 रिकॉर्ड हुआ। वहीं दिवाली पर मध्य प्रदेश के टॉप टेन शहरों की बात करें तो सबसे प्रदूषित शहर सिंगरौली रहा, जहां एक्यूआई लेवल 377 था। जबकि कटनी सबसे कम प्रदूषित रहा, जहां एक्यूआई लेवल 320 था। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के टीटी नगर स्थित लाइव पॉल्युशन मॉनिटरिंग स्टेशन की डेटा रिपोर्ट के अनुसार, रविवार रात 8.30 बजे से सोमवार सुबह 4.30 बजे के बीच शहर में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ा। इसका कारण दीपावली पूजन के बाद हुई आतिशबाजी रही।
प्रदेश के तीन अन्य महानगरों में स्थित्
मप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के डेटा के अनुसार, दीपावली की रात ग्वालियर में अदक 354 से 384 तक, इंदौर में 335 और जबलपुर 330 दर्ज किया गया। 2022 में दिवाली के एक दिन बाद एक्यूआई भोपाल में 334, ग्वालियर में 316, जबलपुर में 309 और इंदौर में 262 दर्ज किया गया था।
आमतौर पर सर्दियों में प्रदूषण बढ़ता ही है
सर्दियों में आमतौर पर प्रदूषण बढ़ता ही है, अगर विंड प्रेशर यानी विंड वेलोसिटी कम हो तो भी यह तेजी से बढ़ता है। हालांकि इस साल आतिशबाजी पिछले सालों की तुलना में थोड़ी कम लग रही है। - ब्रजेश शर्मा, रीजनल मैनेजर, एमपीपीसीबी
कितना होना चाहिए पीएम 10 और 2.5
- पीएम 10: हवा में मौजूद बारीक कण, इसका सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए।
- पीएम 2.5: सूक्ष्म कण, इसका नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है। इससे ज्यादा होने पर यह नुकसानदायक हो जाता है।
स्त्रोत: मध्य प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड )
प्रदूषण की वजह से आंख, नाक और गले की समस्याएं हो सकती हैं। पटाखों का धुआं सर्दीजुका म और एलर्जी का कारण बन सकता है। इस कारण छाती व गले में कन्जेशन भी हो सकता है। ज्यादातर लोग एक-दो दिन में अपने आप ही ठीक हो जाएंगे, लेकिन सावधानी जरूरी है। - डॉ. पराग शर्मा, श्वांस रोग विशेषज्ञ, रीजनल रेस्पीरेटरी इंस्टीट्यूट