शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले, रविवार को फिर वार्ता
चौथे दिन भी जारी रहा किसानों का आंदोलन
चंडीगढ़। किसान आंदोलन के चौथे दिन एक बार फिर से पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। किसानों ने शुक्रवार को आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने कार्रवाई की। इसके चलते स्थिति फिर से तनावपूर्ण हो गई। हरियाणा पुलिस के जवानों ने किसानों को आगे नहीं बढ़ने दिया। किसान पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करके दिल्ली की तरफ से बढ़ना चाहते हैं। किसान संगठनों ने फैसला किया है कि जब तक सरकार के साथ बातचीत चल रही है, तब किसान एक सीमा से आगे नहीं जाएंगे। इधर गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्री और किसान नेता चौथे दौर की वार्ता के लिए 18 फरवरी को मिलेंगे। दोनों पक्षों के बीच 8, 12 और 15 फरवरी को भी मुलाकात हुई थी, लेकिन सभी वार्ता बेनतीजा रही। वहीं शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस के आंसू गैस के गोले बरसाने से कई किसानों को चोटें आई हैं। इधर किसान आंदोलन को पंजाब सरकार पूरी तरीके से समर्थन दे रही है तो वहीं हरियाणा सरकार का कहना है कि किसानों को दिल्ली की तरफ से बढ़ने से रोका जा रहा है। हरियाणा और दिल्ली के बॉर्डरों पर भी किसानों को रोकने के इंतजाम किए गए हैं।
एक किसान और जीआरपी के एसआई की मौत
इधर विरोध प्रदर्शन के चौथे दिन शुक्रवार को शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों में शामिल पंजाब के गुरदासपुर के किसान ज्ञान सिंह (64) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वहीं किसानों के दिल्ली कूच के दौरान अंबाला कैंट में तैनात पानीपत जीआरपी के एसआई हीरालाल की भी मौत हार्ट अटैक से हो गई।
आंदोलन लंबा चला तो रोज होगा 500 करोड़ का नुकसान
इधर उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि किसान आंदोलन के लंबा चलने से उत्तरी राज्यों में व्यापार और उद्योग को रोजगार का भारी नुकसान होगा। इससे प्रतिदिन 500 करोड़ रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान भी होगा।
इटली समेत यूरोप के 10 देशों में किसानों का प्रदर्शन
इधर भारत ही नहीं, पूरी यूरोप के करीब 10 देशों में जनवरी से ही किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इन देशों में फ्रांस, पोलैंड, स्पेन, जर्मनी, इटली, ग्रीस, रोमानिया, बेल्जियम, पुर्तगाल, लिथुआनिया शामिल हैं। शुक्रवार को इटली की राजधानी रोम में विरोध प्रदर्शन करते हुए किसानों ने प्राचीन सर्कस मैक्सिमस पर धावा बोल दिया। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस और किसानों के बीच गहगहमी भी हुई। इसके अलावा किसानों का एक ग्रुप प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के दμतर के पास भी इकट्ठा हुआ। किसान अपनी मांगों को लेकर यूरोपीय यूनियन के आॅफिस भी पहुंचे जहां उन्होंने अपना शिकायत पत्र अधिकारियों को सौंपा।