नेहरू की गलती से पीओके बना, वरना आज होता भारत का हिस्सा: शाह
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा में जोरदार बहस के बाद आखिरकार पास कर दिया गया। इस बहस पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल के उद्देश्यों पर सभी की सहमति है। उन्होंने कहा कि ये बिल लोगों को न्याय दिलाने के लिए है। मैं जो विधेयक लेकर आया हूं, वह बिल 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने का बिल है। इस मौके पर अमित शाह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की समस्या पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की वजह से हुई। पूरा कश्मीर हाथ आए बिना सीजफायर कर लिया था, वरना वह हिस्सा कश्मीर का होता। शाह के इस बयान पर सदन में हंगामा हुआ, इसके बाद विपक्ष ने वॉकआउट कर लिया था। शाह ने कहा कि बिल के नाम के साथ सम्मान जुड़ा है, इसे वही लोग देख पाते हैं, जो अपने से पीछे रह गए लोगों की अंगुली पकड़ कर संवेदना के साथ उन्हें आगे बढ़ाना चाहते हैं। वो लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं।
370 हटना कुछ लोगों को खटक गया: शाह
शाह ने कहा, 370 हटाने से कश्मीर में खून की नदिया बह जाएंगी, खून की नदियां तो छोड़ो, किसी की पत्थर चलाने की हिम्मत नहीं हुई। आर्टिकल 370 पहले ही हट जाना चाहिए था। शाह ने कहा कि लाल चौक पर तिरंगा फहराने हम भी गए थे, लेकिन हमें रोक दिया गया था। आज हर घर तिरंगा है। अमित शाह ने बताया कि घाटी में 3 साल से जीरो टेरर प्लान लागू है और यह 2026 तक पूरी तरह से लागू हो जाएगा।
अधीर रंजन ने दिया चैलेंज, शाह ने स्वीकारा
लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी बोले कि मैं चुनौती देता हूं कि एक तारीख तय की जाए और कश्मीर मामले पर नेहरू के योगदान पर बहस हो। चौधरी ने दावा किया कि कुछ भाजपा नेता नेहरू पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने कश्मीर मामले को सही से हैंडल नहीं किया था। इस पर अमित शाह ने तुरंत जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ये चुनौती स्वीकार करती है और अभी बहस को तैयार है।
फारूक बोले- उस समय फौज को डायवर्ट करना मजबूरी थी
शाह के पंडित नेहरू को लेकर दिए बयान पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह सब सियासत है। आप उस समय पैदा नहीं हुए थे। उस समय क्या स्थिति वह आपको पता नहीं है। उस समय पूंछ और राजौरी को बचाने फौज को डायवर्ट कर दिया गया, ताकि ये दोनों जगह बच जाएं। आज पुंछ और राजौरी अगर भारत का हिस्सा हैं तो उसी मेहरबानी से है, नहीं तो वह भी पाकिस्तान में चला गया होता।
कश्मीरी पंडित उठा सकेंगे हक की आवाज: गृहमंत्री
अमित शाह ने कहा कि जो लोग ये पूछ रहे थे कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या होगा। उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी और अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे। जो ये कहते हैं कि धारा 370 हटने से क्या हुआ, इस पर मैं कहना चाहता हूं कि 5-6 अगस्त 2019 को इनकी वर्षों से न सुनी जाने वाली आवाज को मोदी जी ने सुना और आज उनको उनका अधिकार मिल रहा है। जब कश्मीरी विस्थापित हुए, तो अपने ही देश में उन्हें शरणार्थी बनना पड़ा।