पीतांबरा पीठ, जैन तीर्थ सोनागिर हैं यहां, धार्मिक पर्यटन की है बेहतर उम्मीद
ग्वालियर। अयोध्या और महाकालेश्वर उज्जैन से बहुसंख्यक लोगों की आस्था जुड़ी है, इसलिए दोनों क्षेत्र जनप्रतिनिधियों की सजगता और सक्रियता से दुनियाभर में चर्चा में हैं,और कॉरिडोर बना दिये गये है। यहां देश ही नही विदेशों के लोग भी पहुंचेंगे और आस्था के साथ व्यापार को भी नये पंख लगेंगे। ग्वालियर अंचल भी आस्था के क्षेत्रों से अछूता नहीं है। देशभर से श्रद्धालु पीतांबरा माई, डॉक्टर हनुमान (दंदरौआ) के दर्शन करने पहुंचते हैं तो जैन तीर्थ सोनागिर से देश-विदेश के जैन धर्मावलंबियों का जुड़ाव होने पर यहां महाकाल लोक जैसा निर्माण नहीं हो सका है।
यदि यहां मुरैना के ककनमठ, पड़ावली से लेकर दतिया के पीताम्बरा और ओरछा के रामराजा सरकार को जोड़कर एक कॉरिडोर तैयार किया जाये तो अंचल की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है। अब तक ऐसा संभव न हो पाना इसे जनचेतना का अभाव कहें या राजनेताओं में इच्छाशक्ति की कमी।
आस्थावान केन्द्रों पर सरसरी नजर दौड़ाएं तो गालव ऋषि की तपोभूमि के नाम पर ग्वालियर है तो गोपाचल पर्वत का भी उल्लेख उससे जुड़ा है यहां पर्वत को काटकर उकेरी गई जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को भला कैसे भुलाया जा सकता है। ऋषि परंपरा में गालव ऋषि का उल्लेख ग्वालियर से है। पावई, बरासो और बरई (भिंड) के जैन मंदिर गवाह हैं, वहां भगवान महावीर स्वामी की पद रज का स्पर्श हो चुका है। पीतांबरा माई और धूमावती माई के प्रसिद्ध मंदिर, जहां हर दिन हजारों भक्तगण पहुंचते हैं।
डॉक्टर हनुमान दंदरौआ भिंड) में प्रति मंगलवारश िनवार को भक्तों का सैलाब उमड़ता है। उनाव के बालाजी मंदिर का भी अहम स्थान है। सेंवढ़ा में सनकुआं मंदिर ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनक, सनंदन और सनतकुमार से जुड़ा है और लोगों की आस्था भी वहां पहुंचकर हिलोरे लेने लगती है। शनिदेव का मंदिर ऐंती मुरैना जिले में है। यहां शनिश्चरी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु अपनी वांछित मनोकामना के लिए पहुंचते हैं। ककनमठ भी कम आकर्षक नहीं है। यह वे स्थल हैं, जहां एक नहीं अनेक लोक तैयार हो सकते हैं।