मटर ने फिर तोड़ी किसानों की उम्मीद गेहूं-चना पर भी छाए संकट के बादल
जबलपुर। बारिश के बाद जबलपुर में मटर की हालत सबसे ज्यादा खराब है। बुधवार को भी मटर के दाम माटी मोल रहे। हालांकि सरकारी खरीदी से राहत मिली है लेकिन निजी व्यापारियों में मटर की पूछपरख न के बराबर है। मटर उत्पादक किसानों की मानें तो उनकी 80 फीसदी फसल सड़ चुकी है। ऐसे में आने वाले समय में सूखे मटर की कमी साफ नजर आएगी। उल्लेखनीय है कि नवंबर माह के दूसरे पखवाड़े से किसानों ने गेहंू और चने की बोवनी शुरू कर दी थी। इस दौरान 5 इंच तक गेहूं की फसल पूरी तरह सड़ चुकी है। वहीं निचले इलाकों में चने की फसल भी बर्बाद हो चुकी है। इसी तरह जिन गेहूं के पौधों में बाली आ गई थी वह भी बारिश के पानी में खराब हो गई है।
मटर फिर पहुंचा मंडी
किसानों में हुए समझौते के बाद सलाह दी गई थी कि किसानों को एक-दो दिन ब्रेक कर मटर की तुड़ाई करना होगी। इस संबंध में किसान नेता रूपेन्द्र पटैल ने कहा कि बुधवार को फिर बड़ी तादाद में मटर लेकर किसान पहुंच गए, इससे तीसरे दिन भी दोपहर बाद जाम और आपाधापी का माहौल रहा।
दोबारा होगी बीज खरीदी
भारत कृषक समाज के किसान नेता केके अग्रवाल ने बताया कि बारिश के कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। जिन किसानों की गेहूं और चने की फसल नष्ट हो गई है उन्हें दोबारा बोवनी करना पड़ेगी। ऐसे में दोबारा बीज, खाद और बोवनी करना जरूरी है। हालांकि अभी बारिश की अनिश्चिचता बनी हुई है। इसलिए नए तरह से बोनी के लिए किसानों को इंतजार करना पड़ेगा।